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डीआरडीए के लेखापाल के दो इंक्रीमेंट पर डीडीसी ने लगायी रोक

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के लेखा पदाधिकारी संजय कुमार के दो वार्षिक (इंक्रीमेंट) वित्तीय वृद्धियों पर डीडीसी चित्रगुप्त कुमार ने रोक लगा दी है.

दरभंगा. जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के लेखा पदाधिकारी संजय कुमार के दो वार्षिक (इंक्रीमेंट) वित्तीय वृद्धियों पर डीडीसी चित्रगुप्त कुमार ने रोक लगा दी है. इस बाबत लोक प्राधिकार सह डीडीसी कुमार ने लेखापाल पर की गयी कार्रवाई से संबंधित पत्र भी डीपीजीआरओ अनिल कुमार को उपलब्ध करा दिया है. साथ ही पीजीआर (लोक शिकायत निवारण) में लेखापाल के विरुद्ध चल रहे मामले काे निबटाने का अनुरोध किया है. डीपीजीआरओ स्तर से जारी आदेश पत्र में कहा गया है कि 11 जनवरी 2020 को डीएम के अपीलीय न्यायालय में सुनवाई के उपरांत ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक हुसैन पर लगाये गये आरोप से संबंधित साक्ष्य सही पाए जाने के आधार पर पर्यवेक्षक हुसैन को तत्कालीन डीएम ने बर्खास्त कर दिया था. जिला अपीलीय न्यायालय से बर्खास्तगी के उपरांत राज्य अपीलीय न्यायालय में आवास पर्यवेक्षक हुसैन ने सितंबर 2022 में मामला दायर किया. सरकार का पक्ष रखने के लिए जिला से डीआरडीए लेखापाल संजय को अधिकृत किया गया. लेखापाल संजय पर आरोप है कि बर्खास्त आवास पर्यवेक्षक हुसैन से मिलीभगत कर सरकार का पक्ष रखने के बदले बिना साक्ष्य के आरोपित आवास पर्यवेक्षक का पक्ष रखा. इस वजह से ग्रामीण विकास विभाग सचिव श्रवण कुमार ने 05 दिसंबर 2023 को लेखापाल संजय पर कार्रवाई करने एवं की गयी कार्रवाई से अवगत कराने से संबंधित डीएम एवं डीडीसी को पत्र लिखा था. जारी आदेश के लगभग एक साल बीत जाने के बावजूद डीआरडीए लेखापाल पर कार्रवाई करने व स्पष्टीकरण पूछने के बदले आरोपित लेखपाल संजय से कार्यालय में लेखापाल से संबंधित कार्य लिया जाता रहा. जब यह मामला 10 मई 2024 को पीजीआर में पहुंचा. कहा जाता है कि तब जिला ग्रामीण विकास विभाग सचिव के आदेश को नजरअंदाज कर आरोपित लेखापाल का डीडीसी चित्रगुप्त ने मात्र दो इंक्रीमेंट काटकर अग्रेतर कार्रवाई पर एक तरह से रोक लगा दी. जिला ग्रामीण विकास विभाग सचिव के जारी पत्र के आलोक में न ही लेखापाल से स्पष्टीकरण पूछा गया और न ही निलंबन की कार्रवाई की गयी. जिला एवं राज्य अपीलीय न्यायालय से बर्खास्त किए गए आवास पर्यवेक्षक हुसैन पर आरोप था कि पीएमएवाइ का लाभ दिलाने के लिए प्रति लाभुक के नाम पर 11 हजार रुपये आवास सहायक से मांगा जा रहा था. जो आवास सहायक प्रति लाभुक तय नाजायज राशि आवास पर्यवेक्षक को नहीं पहुंचाते थे, उनके द्वारा तय सूची पर विचार नहीं किया जाता था. मजबूरन लाभुक से नाजायज राशि लेकर आवास पर्यवेक्षक हुसैन को उपलब्ध कराया जा रहा था. पर्यवेक्षक से परेशान दर्जनों आवास सहायकों ने इसकी शिकायत तत्कालीन डीएम एवं डीडीसी से की थी.

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