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जीवन शोधन की एक महत्वपूर्ण वैदिक प्रक्रिया है उपाकर्म – कुलपति

संस्कृत सप्ताह के चौथे दिन सोमवार को पीजी विभाग परिसर के यज्ञ स्थल पर विधि-विधान से पूजा पाठ व हवन आदि के साथ उपाकर्म किया गया.

दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहे संस्कृत सप्ताह के चौथे दिन सोमवार को पीजी विभाग परिसर के यज्ञ स्थल पर विधि-विधान से पूजा पाठ व हवन आदि के साथ उपाकर्म किया गया. यजमान की भूमिका में कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय और पंडित की भूमिका में वेद विभाग के सहायक प्रध्यापक डॉ ध्रुव मिश्र थे. वेद विभाग के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार मिश्र, साहित्य के डॉ प्रमोद कुमार मिश्र आदि ने सहयोग किया. वैदिक काल में प्राच्य शास्त्रों के अध्ययन के लिए शिष्यों का गुरु के पास एकत्रित होने के बाद पढ़ाई प्रारंभ होने को उपाकर्म कहा जाता था. इसी अवधारणा को प्रतीकात्मक रूप में जीवित रखने के लिए उपाकर्म की औपचारिकता संस्कृत विश्वविद्यालय में निभाई गयी. यजमान बने कुलपति प्रो. पांडेय ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म जीवन शोधन की एक महत्वपूर्ण वैदिक प्रक्रिया है. इसमें पाप से बचने का व्रत लिया जाता है. चोरी नहीं करना, दूसरों की निन्दा नहीं करना, खानपान का ध्यान रखना, हिंसा नहीं करना, इन्द्रियों को वश में रखना और सदाचारी होने का नियम इसमें सम्मिलित है. कहा कि वर्तमान में श्रावणी पूर्णिमा के दिन ही उपाकर्म और उत्सर्ग दोनों विधान कर दिए जाते हैं. जानकारों का कहना है कि श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन ””रक्षाबंधन”” के साथ ही श्रावणी उपाकर्म का पवित्र संयोग बनता है. पूजा पाठ के दौरान प्रतिकुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह, सेवानिवृत्त प्रध्यापक प्रो. लक्ष्मीनाथ झा, डीन डॉ शिवलोचन झा, धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार झा, प्रॉक्टर प्रो. पुरेन्द्र वारीक, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ कुणाल कुमार झा, व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. दयानाथ झा, भू-संपदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा, शिक्षा शास्त्र निदेशक डॉ घनश्याम मिश्र, डॉ शम्भू शरण तिवारी, डॉ यदुवीर स्वरुप शास्त्री, डॉ धीरज कुमार पांडेय, डॉ साधना शर्मा समेत सभी विभागों के प्राध्यापक, कर्मचारी नेता डॉ रविन्द्र मिश्र, सुशील कुमार झा उर्फ बौआ जी समेत अन्य कर्मी मौजूद थे. इससे पहले सुबह में डॉ संतोष पासवान के संयोजन में संस्कृत के प्रचार व प्रसार के लिए शोभा यात्रा निकाली गई. बाघघर मोड़ से शुरू होकर यह यात्रा श्यामा मंदिर से होकर वापस विश्वविद्यालय परिसर पहुंची. शोभा यात्रा में संस्कृत के संरक्षण एवं संवर्द्धन को लेकर जयकारा लगाया गया. डॉ यदुवीर स्वरूप शास्त्री, डॉ साधना शर्मा के नेतृत्व में शोभा यात्रा में डॉ प्रियंका तिवारी, डॉ मुकेश कुमार निराला, डॉ धीरज कुमार पांडेय, डॉ प्रमोद कुमार मिश्र आदि शामिल थे.

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