मंदिर व धर्मशाला का निर्माण कराकर मिसाल बनी रानी अहिल्याबाई होल्कर
अभाविप की ओर से शुक्रवार को पीजी रसायन विभाग में महारानी अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनायी गयी.
दरभंगा. अभाविप की ओर से शुक्रवार को पीजी रसायन विभाग में महारानी अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनायी गयी. मौके पर राज्यसभा सांसद डॉ धर्मशीला गुप्ता ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर अपने ससुर, पति और बेटे की मृत्यु के बाद रघुनाथ राव को कूटनीति से बिना युद्ध किए वापस लौटा दिया. इससे अहिल्या देवी का कद और बढ़ा. 11 दिसम्बर 1767 को रानी अहिल्याबाई होल्कर मालवा की महारानी बनी. विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्र ने कहा कि खोयी प्रतिष्ठा पुनः स्थापित करने के लिए रानी अहिल्याबाई होल्कर ने गोहाड के किले को जीता. धार्मिकता के साथ लोगों ने उनकी वीरता भी देखी. पीजी अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ मंजू राय ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर न्याय के प्रति सजग रहती थी. उन्होंने अपने राज्य में नियमबद्ध न्यायालय बनवाये. गांवों में पंचायत को न्यायदान के व्यापक अधिकार दिये. स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ गुंजन शुक्ला ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने विधवाओं को पुत्र गोद लेने का हकदार बनायी. इससे पहले विधवाओं के पति की संपत्तियां राजकोष में जमा करा ली जाती थी. पुत्र गोद लेने का विधान नहीं था. अभाविप की जिला प्रमुख डॉ बिंदु चौहान ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने भारत के भिन्न-भिन्न भागों में अनेक मन्दिरों, धर्मशालाओं और अन्नसत्रों का निर्माण कराया, जो समाज में एक मिसाल है. संगीत विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ लावण्य कृति सिंह ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर सनातनी हिन्दुत्वनिष्ठ महारानी के रूप में विख्यात हुई. उन्होंने अपने शासनकाल में अनेक धार्मिक कार्य पूरा किये. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक रविशंकर, प्रांत प्रचार प्रमुख अविनाश कुमार आदि ने भी विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम का संचालन पूजा कश्यप एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रदेश सह मंत्री उत्सव पराशर ने किया. कार्यक्रम में विभाग प्रचारक रविशंकर, डॉ रंगनाथ ठाकुर, विभाग प्रचार प्रमुख राजेश कुमार झा, मनोज कुमार, हरिओम झा, कुणाल गुप्ता, अमित शुक्ला, नवनीत चौधरी, विकास झा, सुमेधा श्रीवास्तव, विभाग संयोजक राहुल सिंह, शशिभूषण यादव, सत्यम झा, मनोहर मिश्रा, सोनू राम शंकर, संजय सुमन, रूद्र नारायण मंडल, प्रांत सह सेवा प्रमुख जयराम, संजीव, त्रिलोक झा, सूर्यकांत मंगल, आदर्श आनंद, गोपाल कुमार, मुनींद्र, बालकृष्ण आदि मौजूद रहे.
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