कमला खिरोई, बागमती व करेह आदि नदियों का अस्तित्व संकट में

कमला नदी मिथिला की जीवनधारा कही जाती है, पर अब इस नदी की पेटी में रहनेवाले लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | August 13, 2024 10:22 PM

दरभंगा. कमला नदी मिथिला की जीवनधारा कही जाती है, पर अब इस नदी की पेटी में रहनेवाले लोग जलसंकट से जूझ रहे हैं. इसी तरह खिरोई, बागमती, करेह आदि नदियों का भी अस्तित्व संकट में है. गाद से भरी नदियां एवं बढ़ते प्रदूषण से भूजल रिचार्ज नहीं हो रहा है. यही कारण है कि उत्तर बिहार में पेयजल की किल्लत हो गई है. यह बातें पर्यावरणविद सह पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विद्यानाथ झा ने भूजल एवं नदियों का संरक्षण विषयक राष्ट्रीय सेमिनार में कही. मंगलवार को डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन एवं जेएन कॉलेज नेहरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ झा ने कहा कि दरभंगा में कभी 1200 मिली मीटर वर्षा होती थी, अब छह-सात सौ मिली मीटर भी बमुश्किल हो रही है. इस स्थिति से निजात पाने के लिए पहल करनी होगी,अन्यथा भविष्य भयावह होगा. प्रो. शारदानंद चौधरी ने कहा कि गाद की वजह से नदियों की जलधारण क्षमता कम हो गई है. प्रो. पीएन रॉय ने कहा कि मिथिला में जब-जब जल संरक्षण की बात होगी राजा शिवसिंह को याद किया जाएगा. प्रधानाचार्य प्रो. रमेश यादव ने कहा कि जल के बिना मानव अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. महाविद्यालय के दर्जनों छात्र-छात्राओं को सेमिनार में बेहतर प्रस्तुति के लिए पुरस्कृत किया गया. संचालन डॉ श्यामानंद शाडिल्य, धन्यवाद ज्ञापन डॉ अमरनाथ प्रसाद और स्वागत डॉ विक्रम कुमार ने किया. मौके पर डॉ चंदा कुमारी, डॉ प्रीति कुमारी, डॉ एकता रानी, डॉ विपिन कुमार, डॉ नीलेश मिश्रा, डॉ शहनवाज अहमद, डॉ संगीत रंजन, डॉ अरविंद झा, प्रियांशु कुमार आदि मौजूद थे.

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