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नहीं रहे आमता घराना के विश्व विख्यात ध्रुपद गायक रामकुमार मल्लिक

ध्रुपद गायकी के विश्व विख्यात आमता घराना (दरभंगा घराना) के प्रसिद्ध स्वर साधक प. रामकुमार मल्लिक नहीं रहे.

दरभंगा. ध्रुपद गायकी के विश्व विख्यात आमता घराना (दरभंगा घराना) के प्रसिद्ध स्वर साधक प. रामकुमार मल्लिक नहीं रहे. रविवार की सुबह जिला के बहेड़ी प्रखंड अंतर्गत आमता गांव में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ पड़ी है. आमता घराना के बारहवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हुए रामकुमार मल्लिक ने ध्रुपद गायन का प्रशिक्षण बचपन से ही अपने गुरु पिता विश्व विख्यात ध्रुपद गायक प. विदुर मल्लिक के मार्गदर्शन में आरंभ किया. उन्हें अपने दादा विख्यात ध्रुपद गायक प. सुखदेव मल्लिक से भी संगीत शिक्षा ग्रहण करने का सुअवसर प्राप्त हुआ. आमता घराने की विशिष्ट ध्रुपद गायकी को न केवल उन्होंने स्वयं ग्रहण किया, बल्कि अपने पुत्रों संगीत कुमार मल्लिक एवं समित कुमार मल्लिक के साथ शिष्यों के कंधों पर संरक्षण के लिए सौंप दिया. युवा अवस्था से ही अपने सधे स्वर के माध्यम से पुरस्कृूत होने वाले प. मल्लिक को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया. संगीत के क्षेत्र में अपने शत-प्रतिशत अवदान के लिए उन्होंने अपने जीवन को नौकरी से अलग रखा. देश के अतिरिक्त विदेशों में भी संगीत प्रेमियों के लिए अपनी गायकी का प्रदर्शन किया. पटना, वाराणसी, वृंदावन, दरभंगा, मुंबई, दिल्ली, प्रयागराज सहित विदेशों में वर्निल, लंदन, ब्रेमेन, एम्बसर्डम, पेरिस, नीदरलैंड, इटली, जेनेबा, जर्मनी, स्वीजरलैंड आदि में ध्रुपद गायकी की अमिट छाप छोड़ी. जीवन के अंतिम समय तक संगीत से जुड़े रहे प. रामकुमार मल्लिक के निधन से शास्त्रीय संगीत गायन की एक और मजबूत कड़ी आज टूट गयी.

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