Darbhanga News: दरभंगा. मखाना ने दरभंगा सहित मिथिला को विश्व मानचित्र पर प्रतिष्ठित किया है. इस जलीय फसल में उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में क्रांति लाने की पूरी क्षमता है. मखाना की खेती तथा इसके ग्लोबल मार्केटिंग से लोगों को रोजगार मिलेगा. इस विषय पर नये अनुभव एवं शोध पर चर्चा के लिए 17 अक्तूबर को मखाना अनुसंधान केंद्र में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. इसमें ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं विद्वान भाग लेंगे. सांसद डॉ गोपाल जी ठाकुर ने मखाना अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर डॉ नचिकेता, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार एवं अन्य अधिकारियों के साथ सेमिनार की तैयारी को लेकर विमर्श किया.
पिछले पांच वर्षों में मखाने की खेती का तेजी से हुआ विस्तार
डॉ नचिकेता ने बताया कि मखाना एवं मखाना आधारित उत्पादों की बढती राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मांग उत्तर बिहार की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकती है. विश्व के कुल मखाना उत्पादन में बिहार का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है. पिछले पांच वर्षों में मखाने की खेती का विस्तार तेजी से हुआ है. 15 हजार हेक्टेयर में होने वाली खेती का दायरा अब 30 से 35 हजार हेक्टेयर हो गया है. उत्पादकता 14-16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 20-25 क्विंटल तक हो गई है. प्रति हेक्टेयर आमदनी 50-60 हजार रुपये से बढ़कर 1.5 से दो लाख तक अनुमानित है. कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने के साथ ही संस्थान में शोध के लिए जरूर आधारभूत संरचनाओं का विकास तेज हो गया है. वैज्ञानिकों की संख्या बढ़ी है. मखाने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 17 अक्तूबर को मखाना अनुसंधान केंद्र में राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा है. मौके पर भाजपा नेता उदयशंकर चौधरी, मनीष झा, विवेक चौधरी, आशुतोष झा, राहुल कर्ण आदि मौजूद थे.
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