Darbhanga News: नवादा में प्रकाश पर्व दीपावली आज, श्रद्धालु करेंगे उल्का भ्रमण
Darbhanga News:प्रखंड के नवादा गांव के शकुनय वंश के लोग कार्तिक अमावस्या के बदले एक दिन पूर्व चतुर्दशी को ही परंपरा के अनुसार दीपावली मनायेंगे.
Darbhanga News: बेनीपुर. प्रखंड के नवादा गांव के शकुनय वंश के लोग कार्तिक अमावस्या के बदले एक दिन पूर्व चतुर्दशी को ही परंपरा के अनुसार दीपावली मनायेंगे. देश का दूसरा गांव नवादा है, जहां प्रत्येक वर्ष एक दिन पूर्व ही दीपावली पर्व की रस्म अदायगी की जाती है. इस साल भी देशभर में 31 अक्तूबर गुरुवार को दीपावली पर्व मनाया जाएगा, लेकिन नवादा में परंपरा के अनुसार एक दिन पूर्व ही गांव समेत सिद्धपीठ हैयहट्ठ देवी के दरबार में दीपोत्सव मनाया जायेगा. लोग उसी रात उल्का भ्रमण करेंगे. इसे लेकर शकुनय वंश के लोगों का अलग मत है. इधर निर्धारित समय से एक दिन पूर्व दीपावली मनाने को लेकर पूरा गांव सज-धजकर तैयार है. विदित हो कि इस गांव में एक ही शकुनय वंश के बहुतायत ब्राह्मण समाज के लोगों की आबादी है. ये लोग एक दिन पूर्व दीपावली मनाते हैं व दूसरे दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं. यह परंपरा काफी पुरानी है. अब गांव में यह कहने वाले शायद कोई नहीं रह गये कि यह परंपरा कब से और क्यों प्रारंभ की गयी, इसे लेकर लोगों का अलग-अलग मत है, कुछ लोगों का मानना है कि तत्कालीन दरभंगा महाराज के यहां भी पूर्व में यही परंपरा थी. उसी का अनुकरण करते हुए नवादा के शकुनय वंश के पूर्वज एक दिन पूर्व ही दीपावली मनाते थे. ग्रामीण जितेंद्र नारायण झा, महेंद्र नारायण झा, लाला विनय कुमार झा आदि बताते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. उनलोगों के अनुसार नवादा जमींदारों का गांव रहा है. जमींदारी प्रथा के समय लोगों को अपने-अपने कामत पर भी दीपावली मनाने के लिए जाना पड़ता था, इसीलिए एक दिन पूर्व यम दीपावली के दिन ही लोग उल्का भ्रमण करते हुए दीपावली मनाकर दूसरे दिन कामत पर दीप जलाने चले जाते थे. वहीं दूसरे दिन कार्तिक अमावस्या की रात घर की महिलाएं लक्ष्मी पूजा करती थी. यह परंपरा आज भी कायम है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पूर्व में दरभंगा महाराज के दरबार में भी यम दीवाली के दिन ही दीपावली मनायी जाती थी. उसीका अनुकरण करते हुए शकुनय वंश के लोग एक दिन पूर्व दीपावली पर्व मनाते आ रहे हैं, जबकि उसी गांव में अन्य जाति व अन्य गोत्र-मूल के ब्राह्मण समाज के लोग कार्तिक अमावस्या को ही दीपावली पर्व मनाते हैं. यानी इस गांव में सदियों से दो दिवसीय दीपावली पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है.
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