नवविवाहिताओं का विशिष्ट लोक पर्व मधुश्रावणी आरंभ
नवविवाहिताओं का विशिष्ट लोक पर्व मधुश्रावणी गुरुवार को आरंभ हो गया.
दरभंगा. नवविवाहिताओं का विशिष्ट लोक पर्व मधुश्रावणी गुरुवार को आरंभ हो गया. अक्षय सुहाग एवं सुखद दाम्पत्य की कामना के साथ व्रतियों का उपवास भी शुरू हो गया. इसके साथ ही वातावरण में पारंपरिक लोक गीतों के बोल गूंजने लगे हैं. सुबह व्रतियों ने विधिवत पूजा-अर्चना की. इसके बाद अगले दिन की पूजा के लिए फूल लोढ़ने सहेलियों के साथ निकल पड़ी. इसे लेकर सुबह से ही व्रतियों के परिवार का नजारा उत्सवी दिख रहा था. उल्लेखनीय है कि मिथिला में नवविवाहिताओं का शादी के पहले वर्ष मधुश्रावणी पर्व मनाने की पुरानी परंपरा है. इसके तहत प्रातः काल व्रतियों ने पवित्र जल से स्नान किया. तत्पश्चात नख-शिख शृंगार कर ससुराल से आये परिधान धारण कर कोहवर घर पूजा के लिए पहुंची. महिला पंडिताइन ने शिव-पार्वती के साथ विषहारा का पूजन कराया. पहले दिन मररय ब्राह्मण की कथा सुनाते हुए विषहारा पूजन का महात्म्य बताया. शुक्रवार को धरती के जन्म की कथा सुनायेंगी. इस दौरान पारंपरिक लोकगीतों का गायन होता रहा. बता दें कि इसे लेकर कोहबर घर को पहले ही अरिपन आदि से सजा दिया गया था. व्रती के ससुराल से आये हल्दी से गौंडी बनाई गई थी. पूजा के बाद व्रतियों ने फलाहार किया. ज्ञातव्य हो कि इस लोकपर्व में व्रतियां अपने ससुराल से आये अन्न आदि से तैयार बिना नमक का भोजन 13 दिनों तक ग्रहण करेंगी. इधर, शाम ढलते ही व्रतियों ने फिर से नख-शिख शृंगार किया और पारंपरिक लोकगीतों का गायन करते हुए फूल-पत्तियां लोढने निकल पड़ी. रंग बिरंगे फूलों व पत्तियों को सहेज निकट के देव स्थल पहुंची. वहां करीने से डाला को सजाया. इसके बाद वापस लौट गयी. इसे लेकर शहर के माधवेश्वर परिसर समेत कंकाली मंदिर, केएम टैंक शिव मंदिर सहित अन्य देवस्थल देर शाम तक व्रतियों के साथ उनकी सहेलियों की हंसी-ठिठोली से गुलजार रहे.
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