Darbhanga News: अब सरकारी स्कूलों के पहली से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को नहीं देनी होगी मासिक परीक्षा
Darbhanga News:अब सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पहली से बारहवीं कक्षा तक में अध्यनरत विद्यार्थियों की मासिक परीक्षा नहीं देनी होगी.
Darbhanga News: दरभंगा. अब सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पहली से बारहवीं कक्षा तक में अध्यनरत विद्यार्थियों की मासिक परीक्षा नहीं देनी होगी. इस आशय का पत्र शिक्षा विभाग के उपसचिव अमित कुमार पुष्पक ने जारी किया है. कहा है कि जनवरी 2025 से परीक्षा प्रणाली में कई बदलाव किए गए हैं. इसमें अगले कैलेंडर वर्ष 2025 से विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए मासिक परीक्षा का आयोजन नहीं होगा. आंतरिक मूल्यांकन के तहत साप्ताहिक परीक्षा हर सोमवार को होगी. सोमवार को अवकाश रहने पर परीक्षा इसके अगले कार्य दिवस में ली जायेगी. परीक्षा का आयोजन विद्यालय स्तर पर होगा. आंतरिक मूल्यांकन के बाद विद्यार्थी एवं अभिभावक को मूल्यांकन से अवगत कराया जाएगा. जनवरी 2025 से पहली से आठवीं कक्षा तक में अध्यनरत विद्यार्थियों के लिए त्रैमासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा एससीइआरटी तथा नवमी से बारहवीं तक में अध्यनरत विद्यार्थियों के लिए त्रैमासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जाएगी. इस प्रकार अब मासिक परीक्षा की जगह पहली से बारहवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए त्रैमासिक परीक्षा होगी.
बदलाव से मूल्यांकन कार्य को और अधिक सुदृढ़ करने का मिलेगा बल
विभागीय निरीक्षण में पाया जा रहा था कि मासिक परीक्षा संबंधी मूल्यांकन कार्य में खानापूर्ति की जा रही है. परीक्षा का आयोजन एवं कॉपी की जांच में कई अनियमित पाई गई. संभावना जताया जा रहा है कि इसी के कारण मासिक परीक्षा को स्थगित कर त्रैमासिक परीक्षा का निर्णय लिया गया है. इससे विद्यालय प्रबंधन को परीक्षा आयोजन से लेकर कॉपी जांच करने तक का पर्याप्त समय मिल सकेगा. बताते चलें कि गत वर्ष से मासिक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इस मूल्यांकन की प्रक्रिया में महीने भर के पाठ्यक्रम को पूरा करने का टास्क स्कूलों को दिया जाता था. इसके बाद परीक्षा का आयोजन किया जाना रहता था. किंतु, पाठ्यक्रम पूरा करने से लेकर परीक्षा के आयोजन एवं कॉपी जांच में खानापूर्ति किए जाने का साक्ष्य निरीक्षी अधिकारियों को मिल रहा था. अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी फीडबैक के आधार पर विभाग ने यह निर्णय लिया है.
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