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न्याय दर्शन की कुंजी है याज्ञवल्क्य स्मृति : एडीजे

आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग में शनिवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम डॉ रामाकांत शर्मा पहुंचे.

दरभंगा. संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग में शनिवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम डॉ रामाकांत शर्मा पहुंचे. झारखंड व बिहार के 126 प्रशिक्षुओं को दिए जा रहे संस्कृत सम्भाषण के प्रशिक्षण पर एडीजे ने प्रसन्नता व्यक्त की. कहा कि दरभंगा में भारतीय विधिक दर्शन का आविर्भाव हुआ है. महान दार्शनिक महर्षि याज्ञवलक्य प्रणीत स्मृति भारतीय विधि शास्त्र का सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ है, जिसमें व्यवहार अध्याय में विवाद निष्पादन की भारतीय दृष्टि का समावेश है. इस स्मृति के पठन-पाठन को विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग द्वारा अग्रता प्रदान करने व विचार संगोष्ठी आदि कराने का आग्रह भी उन्होंने किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य का दायरा बहुत ही व्यापक है. महान दार्शनिक याज्ञवल्क्य के दर्शन या फिर याज्ञवल्क्य स्मृति आज भी न्यायिक प्रक्रिया की कुंजी है.वहीं एडीजे ने कहा कि संस्कृत है तो संस्कृति है, इसलिए संस्कृत विवि ने सम्भाषण शिविर लगाकर उत्कृष्ट कार्य किया है. ऐसे आयोजन से बेशक भारतीय समाज व शास्त्र को गति मिलेगी. इस दौरान एडीजे ने कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय से औपचारिक भेंट भी की. शिविर में लगी पुस्तक प्रदर्शनी से संस्कृत की कई किताबें खरीदी. इस दौरान धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार झा, वेद विभाग के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार मिश्र, एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा, पीआरओ निशिकांत प्रसाद सिंह भी मौजूद थे.

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