व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन होता नामांकन, ऑफलाइन भरा जाता परीक्षा फॉर्म

मिथिला विश्वविद्यालय के व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीएड, एमएड, एमबीए, बीटेक, बीबीए, बीसीए, एलएलबी आदि में छात्रों की नामांकन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से होती है, पर उनका परीक्षा फॉर्म ऑफलाइन ही भराया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 3, 2024 11:25 PM

प्रवीण कुमार चौधरी, दरभंगा. मिथिला विश्वविद्यालय के व्यावसायिक पाठ्यक्रम बीएड, एमएड, एमबीए, बीटेक, बीबीए, बीसीए, एलएलबी आदि में छात्रों की नामांकन प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से होती है, पर उनका परीक्षा फॉर्म ऑफलाइन ही भराया जाता है. जबकि यूजी एवं पीजी स्तरीय पारंपरिक कोर्स में नामांकन के लिए आवेदन, पंजीयन एवं परीक्षा फार्म भरने की पूरी व्यवस्था ऑनलाइन है. विश्वविद्यालय में वर्ष 2016 में ऑनलाइन व्यवस्था प्रारंभ हुई थी. सामान्य पाठ्यक्रमों के विषयों में यह नामांकन से परीक्षा फॉर्म भरने तक लागू कर दी गयी. जबकि व्यावसायिक पाठ्यक्रम के विषयों में मात्र नामांकन तक ही इस व्यवस्था को अपनाया गया. विश्वविद्यालय की ओर से ऑनलाइन व्यवस्था को अपनाये आठ साल से अधिक हो गये. इतने दिनों में भी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के विषयों का परीक्षा फॉर्म ऑन लाइन नहीं भराये जाने को लेकर विश्वविद्यालय निर्णय नहीं ले पा रहा है. विवि के अधीन संचालित विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लगभग 10 हजार छात्र- छात्राएं इससे प्रत्येक वर्ष प्रभावित हो रहे हैं. छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्रों की मानें तो ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरने की व्यवस्था बहाल नहीं होने से उन्हें आर्थिक दोहन का शिकार होना पड़ता है. आंतरिक परीक्षा का अंक संबंधित संस्था की इच्छा पर आधारित होने के कारण करियर खराब होने के डर से वे आर्थिक शोषण का शिकार होने के बावजूद विरोध नहीं कर पाते हैं. इसका खामियाजा उन्हें एवं उनके अभिभावकों को उठाना पड़ता है. मिलीभगत से जुगाड़ टेक्नोलॉजी कर जाता काम ऑफलाइन परीक्षा फार्म की व्यवस्था होने से ऐसे छात्र छात्राएं भी परीक्षा फार्म भरने में सफल हो जाते हैं, जो अर्हता नहीं रखते हैं. वे संबंधित संस्था की मिलीभगत से जुगाड़ टेक्नोलॉजी के बल पर लाभ उठाने में सफल हो जाते हैं. सतही स्तर पर इसका खामियाजा उन छात्र-छात्राओं को अधिक उठाना पड़ता है, जो प्रतिदिन वर्ग कर परीक्षा फार्म भरने की अर्हता पूरी करते हैं, बावजूद उन्हें संस्थागत आर्थिक दोहन का शिकार होना पडता है. शोषण के शिकार किसी छात्र ने विवि में कभी मौखिक शिकायत की भी तो, कार्रवाई तो नहीं ही होती, उल्टे उन्हें परेशानियों का सामना करना पडता है. उपलब्ध कर्मचारी एवं संसाधनों की बदौलत समय की मांग के अनुरूप विश्वविद्यालय चलने का प्रयास कर रहा है. अगले सत्र से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में छात्रों की बायोमैट्रिक उपस्थिति एवं ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरने की प्रक्रिया अपनाने का प्रयास किया जायेगा. संबंधित निकाय के निर्णय के आधार पर इस प्रस्ताव को लागू किया जायेगा. प्रो. विनोद कुमार ओझा, परीक्षा नियंत्रक

Next Article

Exit mobile version