Darbhanga News: परिवर्तनकारी चेतना के कारण प्रेमचंद का साहित्य प्रासंगिक- प्रभाकर पाठक
Darbhanga News:प्रेमचंद जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में प्रेमचंद की जयंती का समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन रविवार को सीएम साइंस कॉलेज स्थित कामेश्वर भवन में किया गया. इसमें प्रेमचंद की प्रासंगिकता विषय पर विमर्श हुआ.
Darbhanga News: दरभंगा. प्रेमचंद जयंती समारोह समिति के तत्वावधान में प्रेमचंद की जयंती का समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन रविवार को सीएम साइंस कॉलेज स्थित कामेश्वर भवन में किया गया. इसमें प्रेमचंद की प्रासंगिकता विषय पर विमर्श हुआ. इसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह तथा संचालन समिति के संयुक्त सचिव मुजाहिद ने किया. विषय प्रवेश करते हुए समिति के सचिव डॉ लाल कुमार ने विचार रखे. इस अवसर पर जन सरोकार स्मारिका के नौवें अंक व डॉ उमेश कुमार शर्मा रचित कहानी संग्रह तू क्या रौंदे मोय का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया. समारोह को उद्घाटन करते हुए प्रो. प्रभाकर पाठक ने कहा कि प्रेमचंद जन सरोकार के रचनाकार हैं. उनके साहित्य की व्यापक स्वीकृति का कारण विषय की व्यापकता व भाषा की सहायता है. प्रेमचंद अपने समय के ही नहीं, बल्कि अबतक के सबसे बड़े लेखक हैं. उनके साहित्य में परिवर्तनकामी चेतना है, जो उन्हें सदैव प्रासंगिक बनाये रखता है. वहीं मुख्य अतिथि सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि प्रेमचंद गरीबों के द्रष्टा ही नहीं, भोक्ता भी थे. उन्होंने अपने पत्रों के माध्यम से भारतीयों के गरीबी से लड़ना सिखाया. डॉ मित्रनाथ झा ने कहा कि प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से जो जीवन दर्शन निर्मित किया, उसे आज आत्मसात करने की आवश्यकता है. प्रो. धर्मेंद्र कुमर ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य विषमतामूलक समाज में समता की मांग करता है. उन्होंने कहा कि यह समझ नई पीढ़ी के मन में समता, सद्भाव और प्रेम का संचार करता है. जबतक भारतीय समाज में किसी भी तरह की विषमता रहेगी, तबतक प्रेमचंद और उनका साहित्य प्रासंगिक रहेगा. मुख्य वक्ता मुहिम पत्रिका के सह सम्पादक सुमित राय ने प्रेमचंद के जीवन व साहित्य का विस्तार पूर्वक विवेचन किया. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य ही नहीं, प्रेमचंद का संघर्षपूर्ण जीवन भी सराहनीय है. अध्यक्षीय संबोधन में समिति के अध्यक्ष प्रो. सिंह ने कहा कि प्रेमचंद कालजयी साहित्यकार हैं. काल और क्षेत्र की सीमाओं के पार प्रेमचंद को वैश्विक स्वीकृति मिली है. प्रेमचंद कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकते.
पूस की रात का मंचन
इधर सांस्कृतिक कार्यक्रम में रंगग्राम सांस्कृतिक मंच भागलपुर द्वारा पूस की रात का मंचन किया गया. इस अवसर पर गत एक सितम्बर को आयोजित सांस्कृतिक प्रतियोगिता में के सफल छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया. साथ ही सैकड़ों छात्र-छात्राओं को सहभागिता प्रमाण पत्र उनके शिक्षण संस्थान को भेज दिया जायेगा. दूसरी ओर उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं सर्वश्रेष्ठ सहभागिता के अवार्ड और प्रमाण पत्र से सम्मानित डीएवी पब्लिक स्कूल दरभंगा को किया गया. कार्यक्रम में डॉ हीरा लाल सहनी, डॉ शशि भूषण शशि, डॉ ज्वाला चंद्र चौधरी, डॉ रीना कुमारी, डॉ शम्भु पासवान आदि ने भी विचार रखे.
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