दरभंगा. गांव की जमीनों का चल रहे सर्वे के बीच समाहरणालय परिसर स्थित जिला अभिलेखागार एवं रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में पुराने दस्तावेजों की खोजबीन बढ़ गयी है. पुराने साक्ष्यों के लिए लोग कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं. रजिस्ट्री ऑफिस तथा न्यायालय परिसर में रहने वाले मुंशियों के पौ-बारह है. हर कागज की तलाश के लिए पहले 500 से 1000 रुपये ये लोग एडवांस में लेते हैं. काम हो जाने के बाद कुछ और की चाहत रहती है, जाे मिलता भी है. आजकल इन मुंशियों के पास इतना काम पेंडिंग चल रहा है, कि ये किसी से सीधे मुंह बात तक करने को तैयार नहीं होते. यहां तक कि फ्री का चाय ऑफर करने पर उसे पीने की फुर्सत इन्हें नहीं होती. हर तरह के अभिलेख लेने के लिए लोगों को इन मुंशियों की ही आस रहती है.
अनधिकृत प्रवेश निषेध की सूचना की अनदेखी कर खींचा जा रहा काम
अभिलेखागार एवं जिला भूमि निबंधन कार्यालय में भीड़ को लेकर अफरा- तफरी की स्थिति रहती है. अभिलेखागार के बाहर लिखी अनधिकृत प्रवेश निषेध की सूचना की अनदेखी कर काम खींचा जा रहा है. काम के बोझ से कर्मचारी एवं पदाधिकारी परेशान हैं. दोनों परिसर में लोगों की भीड़ लगातार बनी रहती है. परिसर में बैठने तक की जगह छोटी पड़ रही है.एसडीओ कार्यालय में बंद हुआ शपथ पत्र बनना तो खुल गयी कई दुकान
सदर अनुमंडल कार्यालय ने अत्यधिक भीड़ को देखते हुए वंशावली को लेकर शपथ पत्र जारी करना बंद कर दिया. कहा गया कि इसके लिये शपथ पत्र जरूरी नहीं है. कार्यालय में दो दिनों से ताला लटक रहा है. बहेड़ी के बेचन पंडित, जीतन राम, लाल यादव ने बताया कि वंशावली बनाने को लेकर एक बिचौलिये से बात की. उसने साइड से काम करा देने के नाम पर एक-एक हजार रौ लिया. कहा कि शाम होने को आया पर, पैसा लेने के बाद से वह नजर नहीं आ रहा. लोगों से कहा जा रहा कि अब रोटरी पब्लिक से वंशावली बनाना है. लोग उनके झांसे में आकर रोटरी पब्लिक से वंशावली बनवा रहे हैं.अभिलेखागार में 1500 से 2000 चिरकुट रोज फाइल
समाहरणालय स्थित अभिलेखागार के प्रभारी पदाधिकारी सह डीपीआरओ पंचायत प्रशांत कुमार ने बताया कि रिकॉर्ड की खोजबीन के लिए प्रति दिन 1500 से 2000 के बीच चिरकुट फाइल हो रहा है. सामान्य दिनों में यह संख्या 100 से 175 के बीच रहती थी. चिरकुट फाइल हाेने के बाद सर्चिंग होती है. मिली जानकारी आवेदक को दी जाती है. इसके बाद आवेदक चाहे तो सच्ची प्रतिलिपि के लिए फिर चिरकुट फाइल करता है. बताया कि आवेदक सामान्य दिनों की तरह सेम डे में जानकारी चाह रहे हैं.भूमि निबंधन कार्यालय में 150 से 200 के बीच फाइल हो रहा चिरकुट
रिकॉर्ड की खोजबीन के लिए भूमि निबंधन कार्यालय में 150 से 200 के बीच चिरकुट डेली फाइल हो रहा है. सामान्य दिनों में यह संख्या 30 से 40 के बीत रहती थी. मामले के निष्पादन में कर्मचारी सहित पदाधिकारी परेशान दिखते हैं. बार-बार अपनी सीट से उठकर रजिस्ट्रार को रिकॉर्ड रूम तक जाना पड़ रहा है. इससे भूमि निबंधन भी प्रभावित होता है. निबंधन रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन कहतीं हैं कि भीड़ की वजह से परिसर में जगह कम पड़ रहा है. खोज एवं मुआयना के लिए सुबह 12 तक चिरकुट फाइल होगा. सच्ची प्रतिलिपि के लिए दोपहर दो बजे तक चिरकुट फाइल कर सकते हैं. सच्ची प्रतिलिपि अगले दिन सुबह 11 से शाम पांच बजे तक प्राप्त की जा सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है