एमएमटीएम कॉलेज में पूरी रात प्रवाहित होती रही मैथिली कथा गंगा

कथा-गोष्ठी "सगर राति दीप जरय " के 118वें आयोजन में सारी रात मैथिली कथा-गंगा प्रवाहित होती रही.

By Prabhat Khabar Print | June 30, 2024 11:06 PM

दरभंगा. कथा-गोष्ठी “सगर राति दीप जरय ” के 118वें आयोजन में सारी रात मैथिली कथा-गंगा प्रवाहित होती रही. मैथिली के कई पीढ़ी के कहानीकार एक मंच पर समवेत हुए और अपनी कथाओं के माध्यम से राष्ट्रीय व सामाजिक समस्याओं की पड़ताल की. मानवीय संवेदनाओं को सहलाते हुए संबंधों की विद्रूपताओं व खूबसूरती को उकेरा. एमएमटीएम कालेज के सभागार में शनिवार की शाम शुरू हुई कथा गोष्ठी का समापन रविवार की सुबह हुआ. संयोजक प्रो. अशोक कुमार मेहता के संचालन में हुए उद्घाटन सत्र में डॉ भीमनाथ झा, पूर्व कुलपति डॉ शशिनाथ झा, डॉ वीणा ठाकुर, डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू और अध्यक्ष डॉ महेंद्र नारायण राम ने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का आगाज किया. मौके पर पूर्व कुलपति ने संस्कृत में कथा लेखन की परंपरा को रखा तथा डॉ भीमनाथ झा ने सगर राति दी जरय की यात्रा को याद करते हुए इसे मैथिली कथा लेखन के लिए आंदोलन की संज्ञा दी. लगातार 12 घंटे से अधिक देर तक चले कुल आठ सत्रों में संपन्न गोष्ठी में 44 कथाकारों ने अपनी 45 कहानियों का पाठ किया. आरंभ डॉ नीता झा ने अपनी कथा कंट्रोल से किया. विभिन्न सत्रों में जगदीश प्रसाद मंडल ने कनगुरिया अंगुरी, श्याम भास्कर ने नवाचार, कीर्तिनाथ झा ने कबीरपर केस हो, डॉ वीणा ठाकुर ने अपराजिता, लक्ष्मी सिंह ठाकुर ने एहन तमाशा नहि देखल, स्वर्णिम किरण ने दरभंगासं दिल्ली विमान यात्रा, अनीश मंडल ने करतैत नहि तखन बीमारी की, उमेश मंडल ने अनुकूल नहि, संतोष राय ने सहोदर बहिन, नंदविलास राय ने सोझ बात, संजीव समां ने गामक ननुबती, दुर्गेश मंडल ने अरारि, शिव कुमार प्रसाद ने हमहीं सभ दोषी छी, नारायण यादव ने सभसँ पैघ के, आनंद मोहन झा ने गूगल पे, कल्पकवि ने द्वंद्व, चंद्रमोहन झा पड़वा ने निर्णय, ज्योति स्मृति ने ज्योति मिझा गेल शीर्षक कथा का पाठ किया. चंडेश्वर खां ने डर तथा निश्चय कथा पढ़ी. आचार्य श्यामानंद मंडल ने बुड़बक बेटा आज्ञाकारी, वंदना चौधरी ने हम घर घुरी एलहुँ, रतन कुमारी ने पुल, रोशन मैथिल ने स्वकीया-परकीया, रामविलास साहु ने किसानी जिंदगी, पंकज कुमार प्रभाकर ने आजादी, शारदानंद सिंह झा ने भंगठा दै छै, अमलेन्दु शेखर पाठक ने सम्मान, कमलेश प्रेमेंद्र ने अंतिम टुकड़ी, मालती मिश्र ने विडंबना, अक्षयलाल शास्त्री ने झूठबज्जा कथा का पाठ किया. डॉ कमल मोहन चुन्नू के संचालन में हुई कथा गोष्ठी का समापन धीरेंद्र कुमार झा की कहानी छड़ी व आद्यानाथ झा नवीन के यस मैन से हुई. अंतिम सत्र में डॉ धनाकर ठाकुर ने मैत्रेयीक मातृत्व, रेवती रमण झा ने पंचैती, शुभ कुमार वर्णवाल ने जुगबा, दुर्गानंद मंडल ने अनमोल मोती, झोली पासवान ने दूटा भगवान, मनेश्वर मनुज ने घर, रामेश्वर प्रसाद मंडल ने मन गाबऽ लगलै, जगदीश मंडल ने ईश्वरक न्याय, मोहन मुरारी झा ने खाधि, मनीष कुमार यादव ने पहिल प्रेम तथा शुभम शर्मा ने उपकारक उपहार अपकार कहानी पढ़ी. हीरेंद्र कुमार झा के संयोजन में संपन्न गोष्ठी में कथाओं की त्वरित समीक्षा होती रही. डॉ फूलचंद्र मिश्र रमण, रमेश, डॉ सविता झा खान, फूलचंद्र झा प्रवीण, सुरेंद्र भारद्वाज, ॠषि वशिष्ठ, कमलेश कुमार झा, अखिलेश कुमार, संतोष राय, शिवम झा आदि ने समीक्षात्मक टिप्पणी रखी. मौके पर 13 मैथिली पुस्तकों एवं एक पत्रिका का लोकार्पण हुआ. लोकार्पित पुस्तकों में डॉ कमलकांत झा की आत्मकथा स्मृतिक रथपर : प्रगतिक पथपर के अलावा आनंद मोहन झा का गजल संग्रह तेँ ओ बजलैए, जगदीश प्रसाद मंडल की पुस्तक अप्पन सेवा अपने हाथ, डॉ योगानंद झा की वर्तिका और चतुर्रदश सूत्र, रामेश्वर प्रसाद मंडल की एवमस्त, डॉ शुभ कुमार वर्णवाल की शुभ पद्यात्मक परिचय, नमन व शुभ चंद्रयान, लक्ष्मी सिंह ठाकुर की उधिआइत अदहनक कथा, डॉ उमेश मंडल की जगदीश प्रसाद मंडलक काव्य-संसार, राजकिशोर मिश्र की नहि रहतै आब गाम तथा डॉ विजयेंद्र झा की मैथिली साहित्यक इतिहास शामिल थी. कोशी संदेश पत्रिका भी लोकार्पित हुई.

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