साल में दो बार नामांकन का निर्णय बेहतर, पर पहले इससे उत्पन्न होने वाली समस्या पर ध्यान देना जरूरी
आदेश का लनामिवि के पीजी रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष सह विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्र ने स्वागत किया है.
दरभंगा.यूजीसी की ओर से वर्ष में दो बार नामांकन का अवसर दिये जाने के आदेश का लनामिवि के पीजी रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष सह विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्र ने स्वागत किया है. साथ ही कुछ बिंदुओं पर सुझाव भेजा है. कहा है कि यह आदेश छात्रों को राहत देने वाला है. परीक्षा परिणाम में देरी होने, बीमार पड़ जाने या अन्य किसी कारण से किसी छात्र-छात्रा का नामांकन जुलाई-अगस्त वाले सत्र में छूट जाता है, तो उसको नामांकन के लिये अगले साल का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. ऐसे छात्र-छात्राओं को दूसरी बार जनवरी-फरवरी से प्रारंभ होने वाले सत्र में नामांकन लेने का अवसर दिया जाएगा. यह नवाचारी घोषणा प्रथम दृष्टया सुनने में अच्छा एवं छात्रहित में लिया गया निर्णय लगता है, परंतु इस आदर्श स्थिति को लागू करने व व्यवहार में अनुपालन करने में होने वाली समस्याओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है. कहा है कि यूजीसी द्वारा जारी नये आदेश से कालेजों में वर्गों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, जो कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. खासकर जिस कालेजों में पहले से आधारभूत संरचना, शिक्षक, कर्मचारी, प्रयोगशाला की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दिया जा रहा है. ऐसे कालेजों की संख्या भी अधिक है. उन्होंने कहा है कि दो बार नामांकन होगा तो वर्ग की संख्या दोगुणी हो जाएगी. दोबार परीक्षाएं भी होंगी. एक बार परीक्षा होने पर तो सत्र वर्षों विलंब से चल रहा है. दो बैच की परीक्षा लेने पर क्या होगा, यह स्वतः अनुमान किया जा सकता है. कुछ छात्र-छात्राओं के हित के लिए बहुसंख्य छात्र-छात्राओं को असुविधा दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है. प्रो. मिश्र ने आग्रह किया है कि इस योजना को लागू करने से पहले इसके अनुपालन में होने वाले गुणदोष के सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाना उचित होगा. अन्यथा छात्र-छात्राओं के इस समस्या का कोई अधिक आसान वैकल्पिक हल भी ढूंढा जा सकता है.
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