सड़क दुर्घटना में सालभर में 254 लोगों की गयी जान

यातायात नियमों के उल्लंघन की वजह से जिले में 325 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2024 11:48 PM

दरभंगा. यातायात नियमों के उल्लंघन की वजह से जिले में 325 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई है. ये घटनाएं निबंधित है. गैर निबंधित घटनाओं की संख्या भी सैंकड़ों में बतायी जा रही है. एक अप्रैल 2023 से इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट (आइआरएडी) डेटाबेस के तहत सड़क दुर्घटनाओं का डाटा तैयार हो रहा है. आंकड़े बताते हैं कि अब तक जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में 325 सड़क दुर्घटनाएं हुई है. इसमें 254 लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. 125 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये. आंकड़े बताते हैं कि हिट एंड रन की 92 घटना हुई जिसमें 71 लोगों की जान चली गयी. वहीं हिट करने वाले वाहन चालक पीड़ित को छोड़ कर फरार हो गये. 233 दुर्घटना में शामिल वाहन को घटनास्थल पर लोगों ने पकड़ा. इन घटनाओं में 183 लोगों की मौत हो गयी. लापरवाही पूर्वक गाड़ी का संचालन एवं लहरिया कट स्टाइल की वजह अधिकांश घटना का कारण बन रहा है. अधिकांश मामले में गाड़ी चालक दूसरे के साथ खुद की जान के साथ खिलवाड़ कर बैठते हैं. यातायात नियमों का उल्लंघन कर वाहन चालक एवं सवार आये दिन सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बन रहे हैं. जानकारी के अभाव में अधिकांश मृतकों के आश्रितों को सरकारी अनुग्रह अनुदान नहीं मिल पाता है. सड़क दुर्घटना में मृतक के आश्रित को राज्य परिवहन विभाग मुआवजा उपलब्ध कराता है. हिट एंड रन मामले में विभाग मूल आश्रित को जनरल इंश्योरेंस (जीआइसी) कंपनी के माध्यम से अनुदान की राशि उपलब्ध कराता है. जबकि नन हीट एंड रन मामले में इंश्योरेंस युक्त वाहन से प्रमंडल स्तरीय परिवहन न्यायाधिकरण अभिकरण मृतक आश्रित को मुआवजा दिलाता है. बताया जाता है कि समुचित जानकारी के अभाव में मुआवजा लेने के लिए लोगों को दर-दर की ठोकर खानी पड़ती है. कोई सालों से तो कोई महीनों से संबंधित विभाग का चक्कर लगा रहा है. राज्य परिवहन विभाग से जारी गाइडलाइन के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में सबसे बड़ी भूमिका संबंधित थाने की है. मृतक एवं घायल को अस्पताल पहुंचाने से लेकर मृतक के आश्रित को मुआवजा दिलाने तक का दायित्व थाने पर है. दुर्घटना होते ही घायल एवं मृतक को अस्पताल पहुंचाते हुए प्राथमिकी दर्ज की जानी है. आइआरएडी पोर्टल पर तत्क्षण पूर्ण जानकारी एंट्री करनी है, ताकि पोर्टल से जुड़े सभी विभाग को घटना की जानकारी मिल सके. संबंधित थाने का दायित्व है कि अंतिम रिपोर्ट तैयार करने के उपरांत दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी की यांत्रिक जांच के लिए एमवीआइ, सड़क दुर्घटना के कारण की जांच के लिये पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता तथा मृतक एवं घायल से संबंधित रिपोर्ट के लिए स्वास्थ्य विभाग से अनुरोध करे. संबंधित थाना का यह भी दायित्व निर्धारित किया गया है कि वह बीमा कंपनी एवं न्यायाधिकरण के संपर्क में रहकर मृतक के आश्रित को यथाशीघ्र अनुदान की राशि उपलब्ध कराने का रास्ता साफ करेगा. वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकांश थाना मिले उत्तरदायित्व को संजीदगी से नहीं निभा रहा. यही कारण है कि मृतकों के आश्रितों को समय से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता. वे जानकारी के अभाव में भटकते रहते हैं. डीटीओ निशांत कुमार ने बताया कि सड़क दुर्घटना में अधिकांश मृतक आश्रित को अनुदान की राशि उपलब्ध करा दी गयी है. शेष आवेदन की जांच चल रही है. अब भी अधिकांश मृतक आश्रित का साक्ष्य के साथ आवेदन संबंधित थाना से प्राप्त नहीं हो रहा है. इसके लिए अनुरोध किया गया है.

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