आवेदन फॉर्म में गलती के कारण सैंकड़ों छात्रों का नहीं हो पाया स्नातक प्रथम सेमेस्टर में नामांकन

स्नातक प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2024-28) में प्रथम चयन सूची के आधार पर चार जुलाई को नामांकन समाप्त हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | July 6, 2024 11:38 PM

दरभंगा. स्नातक प्रथम सेमेस्टर (सत्र 2024-28) में प्रथम चयन सूची के आधार पर चार जुलाई को नामांकन समाप्त हो गया. इस बीच सैंकड़ों वैसे अभ्यर्थी लनामिवि का चक्कर लगाते नजर आये जो ऑनलाइन आवेदन मे लिंग या जाति गलत भर दिया था. इसमें सुधार के लिए न तो कॉलेज तैयार हुआ और न ही विश्वविद्यालय. इस कारण प्रथम चयन सूची में चयनित होने के बावजूद उनका नामांकन नहीं हो सक है. प्रथम चयन सूची से नामांकन का मौका गंवा चुके वैसे छात्र- छात्रा, इसे लेकर परेशान हैं कि इच्छुक विषय एवं कॉलेज में आगे उनका नामांकन हो सकेगा या नहीं. उधर, बताया जा रहा है कि संबंधित छात्र समेत जिनका नाम प्रथम सूची में शामिल था, उनको दूसरी सूची में शामिल नहीं किया जायेगा. इस कारण इन कोटि के छात्र-छात्राओं को अब ले-देकर ऑन स्पॉट राउंड का इंतजार करना होगा. वह भी तब जब उनके विषय में सीट खाली होगी. त्रुटि सुधार का विवि ने आठ एवं नौ जून को दिया था मौका-ऑनलाइन आवेदन में त्रुटि सुधार के लिये विवि ने आठ एवं नौ जून छात्रों को मौका दिया था. मेजर विषय को छोड़ अन्य सभी प्रकार के सुधार का विकल्प आवेदकों को उपलब्ध कराया गया था. बावजूद इन छात्रों ने मौका का लाभ नहीं उठाया. लापरवाह छात्रों ने यह तक नहीं देखा कि पुरूष होते महिला एवं महिला होते पुरुष का कॉलम भरा गया है. साथ ही जिस जाति के हैं, उसके बदले दूसरी जाति दर्ज हो गयी है. फॉर्म सबमिट करने से पहले तथा सबमिट कर प्रिंट लेने के बाद भी इस गलतियों को चिन्हित करने का फुर्सत इन छात्रों ने नहीं निकाला. ऐसे लापरवाह छात्रों की संख्या सैंकड़ों में बतायी जा रही है. गलती सुधार करने में क्यों लाचार रहा विश्वविद्यालय-विवि सूत्रों का कहना है कि चयन सूची जारी हो जाने के बाद लिंग या जाति में सुधार करने में काफी समस्या उत्पन्न हो जाती. पूरी सूची को फिर से तैयार करना पड़ता. नामांकन के बीच यह संभव नहीं था. महिला कोटि का नामांकन निःशुल्क होना है. पुरुष कोटि में एससी एवं एसटी को छोड़ कर अन्य सभी कोटि में सशुल्क नामांकन का प्रावधान है. महिला तथा कई जातियों को आरक्षण का लाभ देना होता है. चयन सूची ऑनलाइन तैयार होती है, जिसमें लिंग एवं जाति के आधार पर आरक्षण रोस्टर के अनुसार छात्र-छात्राओं को कॉलेज आवंटित किया जाता है. इन सब कारणों से सूची में संशोधन संभव नहीं था. साइबर कैफे भी कम दोषी नहीं-अनुमान के मुताबिक 95 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्रा ऑनलाइन आवेदन के लिए साइबर कैफे का सहारा लेते हैं. छात्रों की योग्यता एवं सक्रियता की जगह, साइबर कैफे वालों की योग्यता बहुत कुछ फॉर्म भरने की शुद्धता तय करता है. कैफे में आवेदकों की भीड़ अधिक रहने पर संचालक अधिक से अधिक लाभ कमाने के लिए ग्राहकों पर कम से कम समय देना चाहता है. जल्दबाजी में डाटा एंट्री करने में वह गलती कर बैठता है. इसका खामियाजा छात्रों को उठाना होता है. डीएसडब्ल्यू प्रो. विजय कुमार यादव ने बताया कि ऑनलाइन आवेदन में मेजर विषय को छोड़ अन्य सभी प्रकार की गलती सुधार के लिए औपबंधिक सूची जारी होने के बाद दो दिन का मौका छात्रों को दिया गया था. इसमें जेंडर सुधार भी शामिल था. इसका लाभ जो छात्र- छात्रा नहीं उठा सके, उन्हें ऑन स्पाॅट राउंड का इंतजार करना होगा, वह भी सीट रिक्त रहने पर. वैसे अन्य विकल्प के लिए छात्र-छात्राएं विवि का वेबसाइट चेक करते रहें. छात्र हित में जो कदम उठाया जायेगा, उसकी सूचना वेबसाइट पर ही दी जायेगी.

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