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चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव को लेकर संस्कृत एवं मिथिला विश्वविद्यालय गुलजार

महोत्सव को लेकर संस्कृत एवं मिथिला विश्वविद्यालय गुलजार है. प्रदेश एवं देश स्तर से आये विद्वान तथा छात्र- छात्रा संगोष्ठी समेत अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों में सहभागिता दे रहे हैं.

दरभंगा.

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव को लेकर संस्कृत एवं मिथिला विश्वविद्यालय गुलजार है. प्रदेश एवं देश स्तर से आये विद्वान तथा छात्र- छात्रा संगोष्ठी समेत अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों में सहभागिता दे रहे हैं. उद्घाटन सत्र में कलाकारों ने गीत-नृत्य से समां बांध दिये. कार्यक्रम में मंत्री हरि सहनी, सांसद गोपाल जी ठाकुर, धर्मशिला गुप्ता, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पांडेय, एलएन मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी समेत बिहार के अधिकांश विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया. विधायक रामचंद्र प्रसाद समेत शहर के दर्जनों गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम में सहभागिता दी. उद्घाटन समारोह का संचालन कार्यक्रम के सह संयोजक राजेश कुमार झा ने किया. संस्कृत विवि के

अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ शिवलोचन झा, कुलसचिव प्रो. ब्रजेशपति त्रिपाठी, परीक्षा नियंत्रक डॉ मुकेश कुमार झा, विकास पदाधिकारी डॉ पवन कुमार झा, डॉ रामसेवक झा, सीसीडीसी डॉ दिनेश झा, भू-सम्पदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा तथा विधि पदाधिकारी डॉ कृष्णानंद मिश्र आदि विशेष सक्रिय रहे. वहीं कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा के नेतृत्व में एनएसएस स्वयंसेवकों ने व्यवस्था में सहयोग किया.

तकनीकी सत्रों में विभिन्न विषयों पर हुई गहन चर्चा

दरभंगा.

चंद्रगुप्त साहित्यिक महोत्सव कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र के बाद तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. भारती मंडप में प्रथम सत्र में भारत का स्वतंत्रता संघर्षः स्व के जागरण का प्रतिफल विषय पर विमर्श हुआ. अध्यक्षता लनामिवि के सेवानिवृत्ति सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. जितेंद्र नारायण ने की. मुख्य वक्ता साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ कुमुद शर्मा सहित अन्य थे. गार्गी मंडप में भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति जागरण विषय पर वक्ताओं ने विचार रखा. अध्यक्षता सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक झारखंड निर्मला कौर ने की. मुख्य वक्ता जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र की प्रो. वंदना झा सहित अन्य थे. भामति मंडप में तीसरे सत्र में भारतीय साहित्य में सामाजिक समरसता विषय पर विमर्श हुआ. इसकी अध्यक्षता हिंदी नवगीतकार सह समीक्षक डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने की. मुख्य वक्ता राष्ट्रीय चिंतक व लेखक इंजीनियर प्रशांत पाल थे. चौथे सत्र का आयोजन गार्गी मंडप में हुआ. इसमें व्यक्तित्व से मिलिए विषय पर विमर्श हुआ. राज्यसभा के पूर्व सांसद डॉ राकेश कुमार सिंहा ने विचार रखा. समन्वय राजेश झा ने किया. चाणक्य मंडप में दीपाली सहाय ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी.

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