दरभंगा. संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग के पांचवें दिन छात्रों को भाषा क्रीड़ा में एक श्वास से संख्या कथन सिखाया गया. इसी क्रम में साग-सब्जी खरीदने- बेचने व मोल-भाव करने का अभिनय संस्कृत माध्यम से किया गया. क्रेता व विक्रेता के रूप में प्रशिक्षु काफी देर तक संस्कृत में वार्तालाप करते रहे. बौद्धिक सत्र में लनामिवि के डॉ जयशंकर झा ने संस्कृतस्य प्रासंगिकता विषय पर चर्चा की. उन्होंने प्रशिक्षुओं को संस्कृत में बोलने के कई टिप्स भी दिए. दूसरी तरफ दरबार हॉल में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के लिए संचालित संस्कृत सम्भाषण वर्ग के चौथे दिन विभक्ति, दिनचर्या, संस्कृत में समय कथन, संस्कृत कथा एवं संख्या कथन का प्रशिक्षण दिया गया. इसमें कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने प्रशिक्षण का अवलोकन किया. कार्यक्रम संयोजक डॉ रामसेवक झा ने बताया कि प्रशिक्षण वर्ग में संस्कृत सम्भाषण के अलावा उत्तम जीवन यापन की कला भी सिखायी जाती है. यह प्रशिक्षण वर्ग संस्कृत विश्वविद्यालय एवं संस्कृत भारती की ओर से चल रहा है. प्रशिक्षण शिविर मे पंहुचे संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्रीशदेव पुजारी का स्वागत एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा ने मिथिला परंपरानुसार किया. बिहार- झारखंड के प्रशिक्षुओं को वे संस्कृत में प्रशिक्षण देने यहां आए थे.
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