Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी संस्कृत विभाग में संचालित संस्कृत अध्ययन केंद्र में गुरुवार को 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का उद्घाटन हुआ. विभागाध्यक्ष डॉ घनश्याम महतो ने मौके पर कहा कि संस्कार एवं संस्कृति की रक्षक संस्कृत सर्वाधिक विस्तृत एवं सुदृढ़ भाषा है. यह सभी भाषाओं की रीढ़ है. कहा कि आने वाला समय संस्कृत का है. निरंतर अभ्यास संस्कृत संभाषण में कुशल बना सकता है. प्रो. जीवानंद झा ने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाला व्यक्ति सर्वगुण संपन्न हो जाता है. संस्कृत का अध्ययन छात्र पूरे मनोयोग एवं आत्मसम्मान के साथ करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करें.
भारतीय ज्ञान परंपरा को अक्षुण्ण बनाये हुए है संस्कृत- डॉ विकास
डॉ विकास सिंह ने कहा कि संस्कृत न केवल प्राचीन एवं वैज्ञानिक भाषा है, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा को भी अक्षुण्ण बनाये हुए है. विश्व की अनेक भाषाएं नष्ट हो गई, पर संस्कृत आज भी पाणिनि के समय की तरह मूल रूप में विद्यमान है. संस्कृत अध्ययन के बिना अन्य विषयों का ज्ञान अधूरा रह जाता है. यह एआइ तथा कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है. इसमें रोजी- रोजगार की अपार संभावनाएं हैं.मानसिक एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति बढ़ाता संस्कृत संभाषण- डॉ चौरसिया
संभाषण शिविर के संयोजक डॉ आर एन चौरसिया संस्कृत को संजीवनी विद्या बताते हुए कहा कि इसके मंत्रों, श्लोकों के उच्चारण एवं संस्कृत संभाषण से बीपी, हृदय रोग तथा डायबिटीज आदि रोग नियंत्रित होते हैं. संस्कृत बोलना अपने आप में एक बेहतरीन कसरत है. संस्कृत संभाषण में शुद्धता एवं स्पष्टता की विशेष जरूरत होती है. इससे हमारी मानसिक एकाग्रता एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है. प्रशिक्षक अमित कुमार झा ने विभिन्न दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ डेमो क्लास का संचालन किया. प्रतिभागियों का आपस में परिचय का संस्कृत में अभ्यास कराया. कहा कि 10 दिनों में छात्र धारा प्रवाह सरल संस्कृत बोलना सीख जायेंगे. स्वागत डॉ ममता स्नेही तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मोना शर्मा ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है