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सीता का व्यक्तित्व संसार के लिए आदर्श

लनामिवि के पीजी मैथिली विभाग में जानकी नवमी के उपलक्ष्य में गुरुवार को "मैथिली साहित्यमे सीता " विषय पर व्याख्यान हुआ.

दरभंगा. लनामिवि के पीजी मैथिली विभाग में जानकी नवमी के उपलक्ष्य में गुरुवार को “मैथिली साहित्यमे सीता ” विषय पर व्याख्यान हुआ. प्रभारी कुलपति सह मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. एके बच्चन ने कहा कि भूमिजा सीता का व्यक्तित्व संसार के लिए आदर्श है. जिस दायित्व एवं कर्त्तव्य बोध के साथ वह श्रीराम के हर संघर्ष में साथ थी, निर्वासन के बाद भी जिस प्रकार अपने बच्चों का लालन-पालन एवं शिक्षा-दीक्षा में योगदान दी, वह प्रेरणादायक है. सीता को सामने रखने पर अपने दुख को भूल जाती महिलाएं- प्रो. दमन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. दमन कुमार झा ने जानकी के लौकिक एवं अलौकिक स्वरूपों की चर्चा की. कहा कि लौकिक रूप में सीता ने मानुषी जीवन के प्रत्येक संघर्ष को जी. विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने त्याग एवं धैर्य से जीवन व्यतीत की. अलौकिक रूप में वह सभी जगह विराजमान हैं. नारी जब दुखी होती है, तो सीता को सामने रखकर सोचती है. उनका स्मरण आते ही वे अपने आपको पुष्ट समझने लगती है. विपरीत परिस्थितियों में सीता का स्वयं को संभालना अनुकरणीय- प्रो. मेहता प्रो. अशोक कुमार मेहता ने कहा कि एकाध रामायण को छोड़ दें, तो जानकी का चरित्र-चित्रण पुरुष मानसिकता के साथ किया गया है. जिस सीता के एक साधारण कुश से प्रतापी रावण के खडग् का तेज समाप्त हो जाता है, उसी सीता को लक्ष्मणरेखा की सीमा में बांधना उनकी शक्ति क्षीणता को दर्शाता है. कहा कि जिस धैर्य से जानकी ने विपरीत परिस्थितियों में स्वयं को संभाला, वह आज भी अनुकरणीय है. सत्यनारायण प्रसाद यादव ने “मैथिली निबंध साहित्यमे सीता “, रौशन कुमार ने “मैथिलीक विभिन्न महाकाव्यमे सीता “, नेहा कुमारी ने “मिथिला भाषा रामायणमे सीता “, भोगेन्द्र प्रसाद सिंह ने “सीता जन्म प्रसंग “, राजनाथ पंडित ने “मैथिली लोकगीत मे सीताक स्वरूपक चित्रण “, वंन्दना कुमारी ने “रमेश्वरचरित मिथिला भाषा रामायण मे सीता, “प्रवीण कुमार ने “मैथिली महाकाव्यमे साहस ओ त्यागक प्रतिबिम्ब : सीता “, मनोज कुमार पंडित ने “रामायण महाकाव्यमे सीताक चित्रण “, प्रियंका कुमारी ने “मैथिली महाकाव्यमे सीता “, शिवम कुमार झा ने “मैथिली कवितामे सीता ” विषय पर विचार व्यक्त किया. संचालन डाॅ सुरेश पासवान और धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. सुनीता कुमारी ने किया.

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