दरभंगा. साहित्यकार शंभू अगेही की आठवीं पुण्यतिथि शुभंकरपुर स्थित स्नेह अगेही शिक्षण संस्थान में हिंदी समाहार मंच के तत्वावधान में मनायी गयी. अखिलेश कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन अजीत सिंह राठौर ने दीप प्रज्वलित कर किया. मौके पर चितरंजन सिन्हा ””””कनक”””” को जीवनोपलब्धि अलंकरण सम्मान से सम्मानित किया गया. साथ ही 42 साहित्यकारों को स्नेह अगेही शिखर सम्मान दिया गया. मौके पर चितरंजन सिन्हा ने कहा कि शंभू अगेही संवेदनशील साहित्यकार थे. उन्होंने हिंदी, बज्जिका, मैथिली आदि में रचनाकर साहित्य की बहुभाषाविद के रूप में सेवा की. साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में पुस्तक लिखकर साहित्यकारों को प्रेरणा दी. मुख्य वक्ता डॉ शारदाचरण ने कहा कि अगेही जी का स्मरण करने से उनकी लंबी साहित्य साधना का अवलोकन होता है. हमें उनकी साहित्यिक कृति को पाठकों तक पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए. अमरेश्वरी चरण सिन्हा ने कहा कि शंभू अगेही कर्मयोगी थे. शिक्षण कार्य के साथ साहित्य की भी सेवा की. विनोद कुमार सिन्हा ने कहा कि उनका स्वप्न महाकाव्य सनातन संस्कृति की पहचान है. चंद्रेश, दामोदर कमालपुरी, विनोद कुमार झा, उदयनारायण सिंह, उदय नारायण उदय, बालेन्दु झा बाला, रमेश प्रसाद सिन्हा, आनंद कुमार सिन्हा, ज्वालासांध्यपुष्प, आदि ने भी विचार रखा. मौके पर दो पुस्तक एवं एक पत्रिका का विमोचन किया गया. विद्यानंद दास की पुस्तक योग रहस्य, ज्वालासांध्यपुष्प की बज्जिका पुस्तक चेथरू कक्का एवं अमिताभ कुमार सिन्हा संपादित पत्रिका बज्जिका पतोखा का लोकार्पण अतिथियों ने किया. द्वितीय सत्र में सर्वभाषा कवि सम्मेलन हुआ. नैना साहु के सरस्वती वंदना से कार्यक्रम कार्यक्रम में कानपुर के अजीत सिंह राठौर ने मिट्टी के चुल्हे ने, रोते हुए बहन फुंकनी से कहा सुनाया. उदय नारायण उदय ने कोई मुल्क में नहीं दिखता हिन्दुस्तान, डॉ मनोज कुमार ने वो सुनता है कहां बीमार की बातें गजल सुनायी. डॉ सतीश चंद्र भगत, साधना भगत, विकास कुमार विधाता, सुरेश कुमार वर्मा, कृष्ण कुमार क्रांति, बच्चा प्रसाद विह्वल, शेखर कुमार श्रीवास्तव, इंदिरा भारती, राम बाबू सिंह, हरिनारायण सिंह हरि आदि ने भी समसामयिक कविता का पाठ किया. संचालन नंद किशोर साहु, स्वागत अमिताभ कुमार सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन आशीष अकिंचन ने किया.
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