मिथिला विभूति पर्व समारोह में विविध भाव भूमि के गीतों से गायकों ने मोहा मन
मिथिला विभूति पर्व समारोह के अंतिम दिन एमएलएसएम कॉलेज परिसर में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.
दरभंगा.
विद्यापति सेवा संस्थान दरभंगा की ओर से आयोजित तीन दिवसीय मिथिला विभूति पर्व समारोह के अंतिम दिन एमएलएसएम कॉलेज परिसर में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम शनिवार की सुबह तक जारी रहेगा. कार्यक्रम में मंच साझा करने के लिये दर्जनों नामी मैथिली गायक पहुंचे हुए हैं. तीसरे दिन विधायक रामचंद्र प्रसाद, मिश्रीलाल यादव, विधान पार्षद सर्वेश कुमार, प्रो दिलीप कुमार चौधरी आदि ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया.सृष्टि फाउंडेशन, दरभंगा के बच्चों ने भगवान शिव पर केंद्रित नृत्य की प्रस्तुति से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत की. पलक राज, श्रुति सिंह, निशा सिंह, रितु रानी, कुमुद शर्मा और भगवान शिव की भूमिका में सत्यम कुमार झा ने ओडिसी नृत्य शैली में भाव भंगिमा का उत्कृष्ट प्रदर्शन कर उपस्थित लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया. बच्चों ने माता पार्वती के लास्य रूपों को और भगवान शिव के तांडव की प्रस्तुति देते हुए ओम नमो नम: से नृत्य को समाप्त किया. शारदा कुमारी ने एकल प्रस्तुति चारो दुल्हा में बड़का कमाल सखिया गीत पर लोक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को मुग्ध कर दी. इसके बाद बारी-बारी से गायक विविध भावभूमि के गीतों की प्रस्तुति दे रहे हैं.कवि सम्मेलन में देर रात तक बहती रही भाव सरिता
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दरभंगा. मिथिला विभूति पर्व समारोह के दूसरे दिन देर रात तक चले मैथिली कवि सम्मेलन में श्रोता भाव सरिता में गोते लगाते रहे. कवि सम्मेलन में दिल्ली, पटना, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर, मधुबनी तथा दरभंगा के चार दर्जन से अधिक कवियों ने भाग लिया. सुबह तीन बजे तक श्रोता काव्य पाठ का आनंद लेते रहे. दिल्ली से आई कवयित्री सोनी चौधरी ने जानकी वंदना का सस्वर पाठ किया. आभा झा ने अपनी कविता में युवाओं की मनोदशा को रेखांकित की. रामसेवक ठाकुर ने ‘सीना बंदे मातरम’ कविता का स्वर पाठ किया. अर्जुन कविराज ने अपनी कविता से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया. डॉ चंद्रमणि ने कविता के माध्यम से मैथिली का गुणगान किया. कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सियाराम झा सरस ने की. संचालन रमेश एवं प्रवीण कुमार झा ने किया. सतीश मेहता साजन, रघुनाथ मुखिया, डॉ महेंद्र नारायण राम, मणिकांत झा, सदरे आलम गौहर, अजित आजाद, डॉ कमल मोहन चुन्नू, बैद्यनाथ विमल, दिलीप कुमार झा, रुपम झा, मनोज झा, अमित मिश्र, सुमित गुंजन, प्रियरंजन, मालती मिश्र, लक्ष्मी सिंह ठाकुर, स्वर्णिम किरण झा, राजकिशोर झा, शंभू नाथ मिश्र आदि ने प्रेम, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य तथा वीर रस की कविताओं का पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के महासचिव डॉ वैद्यनाथ चौधरी ””””बैजू”””” ने किया.तीन पुस्तकों का हुआ लोकार्पणविद्यापति सेवा संस्थान द्वारा पूर्व में प्रकाशित गजल संकलन ””””लोकवेद आ लालकिला”””” (संपादक सरस, रमेश, तथा प्रवीण झा) के परिवर्द्धित द्वितीय संस्करण का कवियों द्वारा लोकार्पण किया गया. संस्था की दूसरी पुस्तक स्व. मैथिली पुत्र प्रदीप की कृतियों का ””””रचना संचयन”””” (सं. लेखक रमेश, डॉ सत्येंद्र, प्रवीण तथा रामकुमार) का भी लोकार्पण किया गया. साथ ही नवारंभ से प्रकाशित लोकगाथा काव्यसंग्रह ””””दामिनी”””” (रचनाकार डॉ महेन्द्र नारायण राम) को भी लोकार्पित किया गया.
महिला सशक्तीकरण का आधार है मिथिला चित्रकलाआम लोगों को खूब भाई मिथिला पेंटिंग की कलाकारीदरभंगा. किसी भी कला को निरूपित करने में कलाकार की भावना और कृति को लेकर उसके मन में उपजे भाव का विशेष महत्व होता है. यह बात पद्मश्री दुलारी देवी ने शुक्रवार को विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित मिथिला विभूति पर्व समारोह में मिथिला पेंटिंग प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए कही. उन्होंने कहा कि मिथिला की धरोहर कला को विकास की पटरी पर दौड़ाने में यहां की नारी शक्ति का विशेष योगदान रहा है. पद्मश्री शिवम पासवान ने कहा कि मिथिला चित्रकला के विभिन्न चित्रों की अपनी विशेषता है. यह जीवन दर्शन से सहज रूप में जुड़ा है. रानी झा ने वर्ष 1934 के प्रलयंकारी भूकंप के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली मिथिला की लोक चित्रकला को आपदा को अवसर में तब्दील करने का सशक्त उदाहरण बताया. मणिकांत झा ने इसके सही तरीके से ब्रांडिंग करने के लिए युवाओं से आगे आने का आह्वान किया.मिथिला पेंटिंग का जीआइ टैगिंग क्षेत्र विशेष के नाम पर किए जाने पर आपत्तिसंस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला पेंटिंग का जीआइ टैगिंग किसी क्षेत्र विशेष के नाम पर किए जाने पर आपत्ति जतायी. उन्होंने मिथिला को विभिन्न अंचलों के नाम से खंडित किए जाने को राजनीतिक साजिश करार दिया. इसके विरुद्ध सभी मिथिला वासी को एकजुटता का प्रदर्शन करने का आह्वान किया. जीवकांत मिश्र एवं मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने मिथिला की चित्रकला को महिला सशक्तिकरण का आधार बताया.
उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं एवं बच्चों को किया गया सम्मानितकलादीर्घा के संयोजक आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स एवं मणि भूषण राजू के संयुक्त संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में मुकेश महासेठ, गजेंद्र मंडल, बालेंदु झा, विजय मिश्र, डाॅ गणेश कांत झा, डॉ उदय कांत मिश्र, चंद्रशेखर झा बूढाभाई, विनोद कुमार झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही. कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं एवं बाल प्रतिभा को सम्मानित किया गया. मिथिला लोक चित्रकला प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है