किसानों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा भू-सर्वेक्षण की प्रक्रिया
भू- सर्वेक्षण की प्रक्रिया बड़े, मझौल और छोटे किसानों के मानसिक तनाव का कारण बन गई है.
राजकुमार रंजन, दरभंगा. भू- सर्वेक्षण की प्रक्रिया बड़े, मझौल और छोटे किसानों के मानसिक तनाव का कारण बन गई है. किसानों को अपनी जमीन हाथ से खिसकने की चिंता सता रही है. कई भू स्वामियों के स्वामित्व के कागजात बाढ़ या अगलगी आदि में नष्ट हो चुके हैं. कई भू स्वामी ऐसे हैं, जिनकी भूमि का बंटवारा कई पुस्त से नहीं हुआ है या फिर खानगी बटवारा के आधार पर भूमि जोत रहे हैं. लोग कागजातों की तलाश के लिए विभागों का चक्कर लगा रहे हैं. कई इलाके में निजी अमीनों के बाकायदा ऑफिस खुल गए हैं. कई जगह सर्वे रिपोर्ट में जमीन के टुकड़े के मलिकाना हक में पहले गलत नाम चढ़ा देने, फिर उसे सुधार करने के नाम पर वसूली की जा रही है. जो लोग गांव से बाहर हैं. उनकी जमीन पर भी दबंग व कागज जानकार लोग गलत नाम चढ़ाकर उन्हें बेदखल करने की तैयारी में हैं.
कहां से आयेगा 125 वर्षों का ब्योरा
हनुमाननगर प्रखंड के किसान भोला यादव, परशुराम चौधरी, शेख मोहम्मद का कहना है कि पहले भी दो बार वर्ष 2019 एवं वर्ष 2020-21 में भूमि सर्वे के नाम पर दोहन हो चुका है. अमीन प्लॉट पर जाते हैं, तो रैयतों से कागजात मांगते हैं. कागजात जमा करने के नाम पर रुपये की मांग की जाती रही है. रैयत दो बार राशि अमीन को दे भी चुके हैं. अमीन 1902 के खतियान को बेस मानते हैं. जिन लोगों ने हाल के वर्षों में जमीन खरीदी है, उनसे भी 1902 से लेकर अब तक की खरीद बिक्री का ब्यौरा मांगा जाता है. खरीदार 125 वर्षों का ब्यौरा कहां से लाएगा.
भू धारियों की कई चिंताएं
बहादुरपुर प्रखंड के दिनेश महतो, उमा चौधरी, मोहन कुमार, दिनेश चौधरी, अमरेश सहनी की कई चिंताएं हैं. इनका कहना है कि जिस परिवार में बंटवारा नहीं हुआ है, वह अब वंशावली तैयार करने को लेकर मगजमारी कर रहे हैं. जिन लोगों ने जमीन का खेसरा बार ब्योरा अब तक ऑनलाइन नहीं कराया है, उन्हें सबसे पहले प्लॉट संख्या यानी खेसरा बार परिमार्जन ऑनलाइन कराना पड़ रहा है. हायाघाट के किसान रामबालक सिंह, कार्तिक प्रसाद ने बताया कि विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध जमाबंदी में कई तरह की विसंगतियां है. पोर्टल पर उपलब्ध जमाबंदी में भू स्वामियों के नाम में कई तरह की त्रूटियां हैं. इसे सुधारने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
सरकारी कार्यालय एवं कचहरी में लोगों की भीड़
कागजातों की तलाश में लोग सरकारी कार्यालयों एवं कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं. जमाबंदी में वंशावली से लेकर जमीनी स्तर तक कई परेशानियां सामने आ रही है. इसके निराकरण के लिए भूमि अभिलेखागार, भूमि निबंधन कार्यालय, हल्का, अंचल व सर्वे कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, समाहरणालय एवं न्यायालय में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. जिले के लगभग सभी प्रखंड में जमीन का लगान अपडेट नहीं होने, म्यूटेशन नहीं होने, आपसी बटवारा नहीं होने से कागजात की कमी, दादा-परदादा के नाम से जमाबंदी समेत कई तरह की परेशानियां से जमीन मालिक जूझ रहे हैं.
रिकॉर्ड रूम का लगा रहे चक्कर
कोई रिकॉर्ड रूम का चक्कर लगा रहा है, तो कोई कार्यालय का. 100 साल से भी अधिक समय बाद मिल्कियत के कागजात मांगे जा रहे हैं. सिंहवाड़ा के किसान आलोक मिश्रा, शमशाद आलम, कन्हैया कुमार, कृष्णा चौधरी आदि ने कहा कि 1914 के बाद न जाने कितनी बार जमीन का हस्तांतरण हुआ है. इसके न तो कोई दस्तावेज है और ना कोई चिट्ठा. बहुत सी ऐसी जमीन है, जिसे आपसी रजामंदी से मौखिक तौर पर बटवारा कर जोता जा रहा है. मौखिक बदलैन करने वाले कई फरीक ने अपना हिस्सा बेच लिया. अब बदले में मिली जमीन पर उनके वंशज हक मांग रहे हैं.
अब तक 800 गांव में हो चुकी है सभा
दरभंगा. प्रभारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने बताया कि 11 से 30 अगस्त के बीच जिले के सभी प्रखंडों के लगभग 1296 गांव में ग्राम सभा की जानी है. 27 अगस्त तक लगभग 800 गांव में ग्राम सभा की जा चुकी है. शेष बचे गांव में 30 अगस्त तक ग्राम सभा का काम पूरा कर लिया जाएगा. उनके मुताबिक इस कार्य में 228 अमीन लगाए गए हैं. प्रत्येक अमीन को 05 से 06 गांव में ग्राम सभा कर सर्वे का काम करना है. 27 कानूनगो, 15 सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और 230 लिपिक को इस काम में लगाया गया है. फिलहाल सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी (एएसओ) को दो- दो प्रखंडों का जिम्मा सौंपा गया है. प्रभारी जिला बंदोबस्त पदाधिकारी ने बताया कि इसके बाद अधिकृत एजेंसी एरियल नक्शा बनायेगी. नया खतियान बनेगा. जमीन मालिक को स्वयं प्रपत्र भरना है, जिसमें आवेदक स्व घोषणा करेगा. दूसरा प्रपत्र 03-01 के तहत वंशावली देना है. वंशावली बनाने का काम सरपंच के यहां पंचायत सचिव के माध्यम से किया जा रहा है.
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