राम तुम हमारे लिए सिया के सुहाग हो, सिया कमल फूल है तुम भरे तराग हो
राष्ट्रभाषा हिंदी विकास परिषद के तत्वावधान में दोनार में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया.
दरभंगा. राष्ट्रभाषा हिंदी विकास परिषद के तत्वावधान में दोनार में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. चेन्नई से पधारे कवि ईश्वर करुण ने देशभक्ति एवं शृंगार की कई रचना सुनायी. कहा- साधु मैं दिल फेक नहीं हूं, प्रत्यय हूं प्रत्येक नहीं हूं. राम तुम हमारे लिए सिया के सुहाग हो, सिया कमल फूल है तुम भरे तराग हो. हीरालाल सहनी ने देश की वर्तमान स्थिति पर कहा- देश में आज नवजागरण चाहिए, सिर्फ भाषण नहीं आचरण चाहिए. आशुतोष कुमार वर्मा ने कहा- “नैतिकता छूमंतर हो गयी है चेहरे पर है डबल मुखोटे, सच्चे दिखने वाले भी अब अंदर से हैं खोटे के खोटे “. कुमार अनुराग ने- हिंदी है महान हिंदी से है हिंदुस्तान. रामचंद्र मंडल ने कहा- “सारी दुनिया डूब चुकी है मतलब के व्यापार में, केशव कुमार मिश्रा ने कहा- मिट्टी का मोल हो गया सेवा का ढोंग हो गया, रिश्तो की दूरियां बढ़ी सारे अपनत्व खो गए. नारायण जी चौधरी ने कहा- नई तरंग हो नयी उमंग हो ऐसा विचार बनाते चल एवं सोनू कुमार ने महलों जैसे कोठी बंगले इनकी लागत दौलत से है शीर्षक कविता सुनायी. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत डॉ नीत प्रिया प्रलय के सरस्वती वंदना से हुई. अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष हीरालाल सहनी ने एवं संचालन राजन कार्तिकेय ने किया. ईश्वर करुण को परिषद की ओर से मान पत्र देकर सम्मानित किया गया.
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