भाषा के माध्यम से हाेता समाज का जुड़ाव : कुलपति
संस्कृत भारती व संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्तावित 12 दिवसीय आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग को सफल बनाने के लिए रविवार को संकल्प यज्ञ का आयोजन किया गया.
दरभंगा. संस्कृत भारती व संस्कृत विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में प्रस्तावित 12 दिवसीय आवासीय संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग को सफल बनाने के लिए रविवार को संकल्प यज्ञ का आयोजन किया गया. दरबार हाल में आयोजित संकल्प यज्ञ में कलश स्थापना कर विभिन्न देवी-देवताओं का पूजन किया गया. इसके बाद घी एवं शाकल्य से आहुति दी गयी. पूर्णाहुति के उपरांत आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मीनिवास पांडेय ने कहा कि यज्ञ से वातावरण में स्वच्छता होती है. भाषा से समाज का सहज स्नेह होता है. इस प्रशिक्षण वर्ग का उद्देश्य है कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर सभी प्रशिक्षु समाज में जाकर लोगों को संस्कृत बोलना सिखएंगे. मौके पर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य सह विधायक प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि सामाजिक समरसता स्थापित करने में संस्कृत भाषा की महती भूमिका है. वर्षों बाद दरभंगा में इस तरह के आवासीय प्रशिक्षण में स्थानीय लोगों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने एवं सहयोग प्रदान करने का आह्वान किया. वहीं, पूर्व विधान पार्षद प्रो. दिलीप चौधरी ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है. आज का यह संकल्प यज्ञ अवश्य ही सफलता का संदेश समाज को देगा. संकल्प यज्ञ के आचार्य प्रो. राजेंद्र झा ने वैदिक पद्धति से अनुष्ठान सम्पन्न कराते हुए विश्वविद्यालय के उत्तरोत्तर विकास की कामना की. कार्यक्रम संयोजक डॉ रामसेवक झा ने बताया कि संकल्प यज्ञ के साथ ही धन संग्रह अभियान शुरू हो गया है. वहीं संरक्षक डॉ शिवलोचन झा एवं डॉ दिनेश झा ने संस्कृत सेवा की दृष्टि से दान करने का निवेदन जन समूह से किया. संकल्प यज्ञ में सर्व व्यवस्था प्रमुख डॉ उमेश झा, संस्कृत भारती के क्षेत्र मंत्री प्रो. श्रीप्रकाश पांडेय, संगठन मंत्री श्रवण कुमार, प्रांत मंत्री डॉ रमेश कुमार झा, दरभंगा विभाग संयोजक डॉ त्रिलोक झा, डॉ सुधीर कुमार झा, कुलसचिव डॉ दीनानाथ साह, कुलानुशासक प्रो. पुरेंद्र वारिक, प्रो. रेणुका सिंहा, प्रो. दिलीप कुमार झा, डॉ दयानाथ झा, डॉ शंभु शरण तिवारी, डॉ कुणाल कुमार झा, डॉ संजीत झा, डॉ साधना शर्मा, डॉ मैथिली कुमारी, डॉ अयोध्यानाथ झा, शिवकिशोर राय, डॉ रवींद्र झा समेत कई प्राध्यापक, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, कर्मचारी व छात्र-छात्राएं मौजूद थे.
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