Darbhanga News: पानी की सतह पर पनपते शैवाल से सूर्य की किरणें होती अवरुद्ध

Darbhanga News:लनामिवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष सह पीजी रसायन विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्र का कहना है कि हराही तालाब के सतह पर हरी परत और असहनीय गंध सुपोषण (यूट्रोफिकेशन) का संकेत हो सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 2, 2024 10:31 PM

Darbhanga News: दरभंगा.लनामिवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष सह पीजी रसायन विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेम मोहन मिश्र का कहना है कि हराही तालाब के सतह पर हरी परत और असहनीय गंध सुपोषण (यूट्रोफिकेशन) का संकेत हो सकता है. यह पानी में अत्यधिक पोषक तत्वों के कारण होने वाली एक आम पर्यावरणीय समस्या है. इससे शैवाल की तीव्र वृद्धि होती है. कहा कि तालाब में पश्चिम से दो और उत्तर से एक नाला से गन्दा पानी गिरता है. पूरब से दुकानों एवं होटल के कचरे और दक्षिण से आ रहे घरेलू कचरे में नाइट्रोजन और फास्फोरस का उच्च स्तर होता है. ये पोषक तत्व सीवेज, कृषि अपवाह और घरेलू कचरे से आते हैं. इससे शैवाल का विकास तेजी से होता है. तालाब के जल की ऊपरी हरी परत नीला-हरा शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) या अन्य शैवाल प्रजातियां पोषक तत्वों से युक्त पानी में भरपूर पनपती है. जब वे अत्यधिक बढ़ जाते हैं, तो सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देते हैं. इससे पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है. जब शैवाल मर जाते हैं, तो वे विघटित होकर पानी से ऑक्सीजन लेते हैं. इससे अवायवीय स्थितियां उत्पन्न होकर हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी दुर्गंधयुक्त गैसें उत्पन्न होती है, जो असहनीय गंध के लिए जिम्मेदार होती है.

कम करनी होगी पोषक तत्वों की मात्रा

प्रो. मिश्रा का कहना है कि इसे रोकने के लिए तालाब में पोषक तत्वों की अधिकता के स्रोतों को कम करना, तालाब में प्रवेश करने से पहले सीवेज और घरेलू कचरे का उपचार करना, आस-पास के क्षेत्रों से पोषक तत्वों के बहाव को रोकने के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करना, ठोस अपशिष्ट और पोषक तत्वों को रोकने के लिए जल निकासी प्रणालियों में फिल्टर स्थापित करना, शैवाल खाने वाली शाकाहारी मछलियां (कार्प प्रजातियां) को वहां डालना आदि शामिल है. तालाब के किनारे बफर जोन लगाने से भी बचाव हो सकता है. किनारे पर वनस्पति घास, नरकट आदि लगाकर पानी में प्रवेश करने से पहले पोषक तत्वों को अवशोषित करने और कटाव को रोकने में मदद मिल सकती है. दुर्भाग्य से तालाब के तीन भिंडा को समाप्त कर दिया गया है.

तालाब की सेहत के लिए उठाने होंगे ये कदम

प्रो. मिश्र का कहना है कि पानी गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए इसकी निगरानी आवश्यक है. पोषक तत्वों के स्तर, पीएच, घुलित ऑक्सीजन आदि को मापना जरूरी है, ताकि समस्या आने से पूर्व समाधान के उपाय कर लिए जायें. प्रो. मिश्रा का मानना है कि इन उपायों को लागू करने से हराही टैंक के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने, हरे शैवाल के खिलने को कम करने और दुर्गंध को कम करने में मदद मिल सकती है. तत्काल उपाय के तहत पानी में ऑक्सीजन का स्तर सुधारने के लिए यांत्रिक उपकरण (एरेटर) का उपयोग करना चाहिए. शैवाल को कम करने और कार्बनिक पदार्थों के वायवीय (एरोबिक) अपघटन को बढ़ाकर दुर्गंध को कम किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version