Darbhanga News: संतोष कुमार पोद्दार, कुशेश्वरस्थान पूर्वी. भगवान अब हमसब घर सँ बेघर भ गेलौं. उपर सँ इन्द्र भगवान आ नीचा स कमला आ कोसी माई तांडव मचा रहल छथि. कुछ इसी तरह की बात सुघराइन पंचायत के भरैन मुसहरी टोल समेत उजुआ-सिमरटोका पंचायत के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित अपना दुःखरा सुनाते हुए कह रहे थे. इन गांवों के बाढ़ पीड़ित घर के सामान की परवाह किये बगैर अपनी जान बचाकर छोटे-छोटे बच्चों के साथ तटबंध पर शरण ले रहे हैं. स्थिति ऐसी भयावह हो गयी है कि कहीं पानी में तैरकर, कहीं प्रशासन के कर्मी, कहीं एनडीआरएफ की टीम स्थानीय लोगों के सहयोग से पीड़ितों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाने में लगी हैं. भरैन मुसहरी टोल के प्रभु सदा, असरफी सदा, छोटेलाल सदा, सुल्तान सदा, दीपक सदा, लड्डूलाल, शिवजी सदा समेत दर्जनों पीड़ित बताते हैं कि जान बचाकय दर्जिया-फुहिया पश्चिमी बांध पर एलौं. दिन त कटि जाइत छै, मुदा राइत अंधकार में कोना बाल-बचाक संग कटतै, से पहाड़ बुझा रहल अछि. खाय के कोनो साधन नइ छै. सब पाइन में भाइस गेलै. वहीं कांग्रेस कमेटी के प्रखंड अध्यक्ष रामभजन यादव ने बताया कि भरैन मुसहरी टोल के पीड़ित दर्जिया-फुहिया पश्चिमी तटबंध पर शरण लिये हैं. इनलोगों के लिए भोजन, पानी व बिजली की स्थिति को लेकर सीओ को अवगत कराया गया है. इधर उजुआ-सिमरटोका, इटहर पंचायत के अलावा दर्जनों ऐसे बाढ़ से घिरे गांव के लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचाया गया है. इस संबंध में सीओ गोपाल पासवान ने बताया कि 42 गांव की लगभग एक लाख आबादी बाढ़ से घिर गयी है. एनडीआरएफ की टीम तथा निजी नाव के सहारे लगभग छह हजार बाढ़ से फंसे लोगों को ऊंचे स्थान पर पहुंचाया गया है. सीओ ने बताया कि अभी खाना बन रहा है. बारिश नहीं होती है तो देर रात तक 15 सामुदायिक किचेन चालू हो जायेगा. बारिश के कारण सामान लाने में भी कठिनाई हो रही है.
कोई ट्रक के ट्यूब तो कोई मवेशी के लिए बने नाद के सहारे बचा रहे जान
कुशेश्वरस्थान पूर्वी में मवेशी को चारा खिलाने के लिए सीमेंट के बने नाद को नाव बना बाढ़ पीड़ित ऊंचे स्थान तक पहुंच रहे हैं. यह नजारा बाढ़ प्रभावित इलाके में देखने को मिल रहा है. कोई नाव तो कोई ट्रक आदि के बड़े ट्यूब का सहारा लेकर सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं. सोमवार को नाद में सवार होकर जा रहे गोलमा निवासी ठकको सदा ने बताया कि पहिने बाढ़ि आबैत रहै त गरीब सँ अमीर सबके नाव रहै छलै. चाहे एक सांझ घर मे खाना नै रहै, मुदा दूरा पर नाव रहै छलै. आब सभ साल बाढ़ि नै अबै छै, तेँ लोग नाव नै राखै छै. उनका कहना था कि घर में बाढ़ का पानी आ गया है. नाव नहीं रहने के कारण अपनी जान बचाने के लिए इसी नाद के सहारे तटबंध पर आया हूं. पीड़ितों का कहना था कि हमलोग तो किसी तरह जीवन बसर कर लेते हैं, लेकिन मवेशी को भूखा देख कलेजा फटने को आ जाता है.कटाव के सामने पड़े दो मकान के साथ गृहस्वामियों को बहा ले गयी विकराल कोसी
संतोष कुमार सिंह, घनश्यामपुर. किरतपुर में भूभोल गांव के निकट रविवार की देर रात करीब दो बजे कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध टूट गया. कटाव के सामने पड़े भुभोल निवासी बिनो साह, उनकी पत्नी द्राैपदी देवी मकान समेत मुख्य धारा में बह गये. वहीं राजो शेख का भी मकान सहित दो व्यक्ति तेज धारा में बह गये. इन सभी का सोमवार की शाम तक पता नहीं चल पाया था. अभी भी आसपास के सैकड़ों लोग बाढ़ के बीच फंसे बताये जा रहे हैं. बाढ़ से खुद को बचाने के लिए ये लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं. सुरक्षित निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं. चारों तरफ पानी ही पानी है. बताया जाता है कि पानी की रफ्तार इतनी तेज है कि एनडीआरएफ की टीम भी उस स्थल पर समाचार प्रेषण तक नहीं जा सकी थी. यूं तो रविवार की दोपहर से ही कोसी नदी के पश्चिमी तटबंध के उपर से पानी बहना शुरू हो गया था. आनन-फानन में प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे. डीएम राजीव रौशन ने खुद मोर्चा संभाल लिया. मिट्टी की बोरी खुद उठाकर रखने के लिए, लेकिन कोसी के तांडव के आगे कोशिश नाकाम रही और रात करीब दो बजे तटबंध टूट गया. भुभोल निवासी राजो पासवान, लालो सदा व इंदल पासवान ने तटबंध टूटने का आंखों देखा हाल बताते हुए कहा कि भुभोल गांव के कितने लोग पानी की मुख्य धारा में बह गया, यह कहना अभी मुश्किल है. लोग अपने परिजनों की खोजबीन कर रहे हैं. गांव जाना मुश्किल है. रात का समय था. जो जहां था, जैसे-तैसे घर छोड़कर बांध की ओर भागा. बताया कि 12.30 बजे प्रशासन के साथ चार हाइवा गिट्टी बांध पर गिराकर वापस लौट गया. साथ ही लोगों को गांव खाली करने के लिए कहा गया. इसके कुछ देर बाद बांध टूट गया. कोसी के पश्चिमी तटबंध के टूटने से प्रखंड के कोसी नदी के पश्चिमी तथा कमला नदी के पूर्वी तटबंध के बीच बसे गांव भूभोल, कुबोल, जकसो, नरकटिया, तेतरी, तरवारा, झगरूआ, किरतपुर, सिमरी, छिलकोरा, जमालपुर, बौराम, खैसा, असमा, कोठराम, पुनाच, मुसहरिया, रसियारी सहित दर्जनों गांव बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. सभी गांव के मुख्य मार्ग पर लगभग 15 फीट पानी बह रहा है. बाढ़ पीड़ित परिवार कोसी के पश्चिमी तटबंध व कमला नदी के पूर्वी तटबंध पर खुले आसमान में शरण लिये हुए हैं. वहीं कुछ बाढ़ पीड़ित परिवार अपनी-अपनी छत पर ही हैं. जैसे-तैसे लोग घर से नाव के सहारे खाने-पीने की सामग्री, चूल्हा लेकर बांध पर आ रहे हैं. एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू में लगी है. लागभग एक लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. किरतपुर प्रखंड पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित हो गया है. वहीं घनश्यामपुर में एक पंचायत बुढेब इनायतपुर बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीच अफरा-तफरी का माहौल कायम ही है. कोसी नदी ने घर सहित लील लिया लालो का अरमानबाढ़ के पानी में बह गये बेटी की शादी के लिए रखे सामान
घनश्यामपुर. हे भगवान ई की केलहक. हमर घर बाढ़िक पानी में भाइस गेलै. सब सामान चलि गेलै. आब कोनाक हमर बेटी फुलदाय के बिआह हेतै. ये कहते-कहते कोसी नदी के पश्चिमी तटबंध पर शरण लिए भुभोल निवासी लालो सदा की आंखों से आंसू की धारा फूट पड़ती है. वे बिलखते हुए लोगों को अपना दुखरा सुना रहे हैं. मालूम हो लालो सदा की पुत्री की शादी नीमा गांव में तय हुई. 20 नवंबर को शादी की तारीख तय थी. लालो मजदूरी कर पुत्री की शादी के लिए कपड़े, गहने, फर्नीचर समेत कई सामान एक-एक कर कई महीनों से जुगाड़ कर घर में रख रहे थे. क्या पता था कि कोसी नदी का बांध भुभोल गांव में उसके घर के ही निकट ही टूट जायेगा. एक झटके में घर सहित बेटी की शादी का अरमान पानी में विलीन हो जायेगा. उसके उपर गम का पहाड़ टूट पड़ा है. उन्हें अब अपनी पुत्री के विवाह की भी चिंता सता रही है.
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