Darbhanga News: दरभंगा. मिथिला विभूति पर्व समारोह के दूसरे दिन गुरुवार को मिथिलाक गाम विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ ओम प्रकाश ने दीप प्रज्वलित कर किया. सुधा डेयरी, दरभंगा के प्रबंधक सुभाष कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. अध्यक्षता विष्णु झा ने की. संगोष्ठी में प्राप्त 40 आलेखों के किये गये संकलन का लोकार्पण किया गया. विदित हो कि पिछले वर्ष भी मिथिलाक गाम विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था. उसमें 90 से अधिक गांव के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई थी. उसे भी पुस्तकाकार किया गया था. संगोष्ठी के संयोजक मणिकांत झा ने कहा कि भारत की आत्मा गांव में निवास करती है. मिथिला तो गांव का ही क्षेत्र है, जहां धरती से सीता उत्पन्न हुई, देवाधिदेव महादेव महाकवि विद्यापति की चाकरी करने के लिये उनके यहां उगना बनकर बहुत दिनों तक रहे. गांवों में जानकारी का खजाना भरा पड़ा है. आवश्यकता है उसके दस्तावेजीकरण का. यह काम इस संगोष्ठी के माध्यम से किया जा रहा है.
गांव की रीति रिवाजों को संजोकर रखने की जरूरत- डॉ ओम प्रकाश
डॉ ओमप्रकाश ने कहा कि गांव में रहने वाले लोग शहर की सभी सुख सुविधाओं को प्राप्त करते हैं, किंतु अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को भी अक्षुण्ण बनाए हुए हैं. आवश्यकता है गांव की रीति रिवाजों को संजोकर रखने की.
गांव में सीखने के लिए बहुत कुछ- सुभाष कुमार सिंह
सुभाष कुमार सिंह ने कहा की गांव में सीखने के लिए बहुत कुछ पड़ा हुआ है. आज भी हम अपने दैनिक जीवन में गांव में सुनने वाले मुहावरों को तथा कहावतों को चरितार्थ कर रहे हैं. प्रो. अयोध्या नाथ झा ने मिथिला के विभिन्न गांवों से आलेख लाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया. डॉ महेंद्र राम ने गांव के गुणों का बखान किया.
संस्थान मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्पित- डॉ बैजू
अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि विद्यापति सेवा संस्थान मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए कृत संकल्पित है. संस्थान के अध्यक्ष प्रो शशिनाथ झा ने कहा कि संगोष्ठी कि सफलता यह है कि पुस्तक के माध्यम से हम विभिन्न गांवों की विशिष्टता को समझ सकेंगे. संगोष्ठी में डॉ सती रमण झा, शंभू नाथ मिश्रा आसी, कामेश्वर कुमार ओझा, रितु प्रज्ञा, गोपाल कुमार झा, प्रभाकर कुमार झा, डॉ सत्येंद्र कुमार झा, मोहन मुरारी झा, सुमित श्री झा, डॉ अजय कुमार, डॉ प्रतिभा स्मृति, साहेब ठाकुर, प्रतिभा किरण, मुन्नी मिश्र, आनंद शंकर, इंदु कुमारी, बागेश्वरी कुमारी, डॉ पूनम कुमारी झा, रामचंद्र राय, नीलम झा, स्वर्णिम किरण प्रेरणा आदि ने आलेख पाठ किया. धन्यवाद ज्ञापन हरि किशोर चौधरी, वेदध्वनि से शुभारंभ गंधर्व कुमार झा, गीत से डॉ ममता ठाकुर और समापन जानकी ठाकुर के गाए नचारी से किया गया.
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