दरभंगा. मौसम के तेवर में तनिक भी नरमी नहीं आयी है, बल्कि पिछले दिन की तुलना अगला दिन और अधिक बेचैनी दे रहा है. न तो तापमान का पारा नीचे उतर रहा है और न ही उमस में कोई कमी आ रही है. मंगलवार का दिन भी बेचैनी भरा गुजारा. बदन पसीने से लथपथ होता रहा. कहीं भी सुकून नहीं मिल रहा था. राहत की तलाश में लोग छटपटाते रहे. आलम तो यह रहा कि गर्मी से निजात के लिए स्नान करने का भी कोई लाभ नहीं हुआ. नहाने के चंद मिनट बाद ही बदन पसीने लथपथ हो जाता रहा. यूं तो यह विकराल मौसम सबको परेशान कर रहा है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों के निवाले पर यह आफत साबित हो रहा है. न तो मजदूरों को काम मिल रहा है और न ही रिक्शा, ऑटो चलाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ करनेवालों को सवारी मिल रही है, कारण अधिकांश लोग घर से बाहर निकल ही नहीं रहे. इसका प्रमाण सूनी पड़ी सड़कें दे रही हैं. इस मौसम में मजबूरन घर से बाहर निकलने वालों का हलक सूखता रहा. सार्वजनिक चापाकल के अभाव में लोग बोतल बंद पानी से गला तर करते रहे. पेड़ की छांव में नारियल पानी, गन्ने का रस, आम का जूस, लस्सी आदि की दुकानों पर राहगीरों की भीड़ लगी रही. लोग खुद को तीखी धूप व उमस भरी गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए शीतल तासीर वाले पदार्थों का सहारा लेते दिखे. उल्लेखनीय है, तापमान का पारा लगातार 40 डिग्री के इर्द-गिर्द रह रहा है. मंगलवार की दोपहर भी पारा 41 डिग्री तक पहुंच गया. घर के भीतर कूलर के सामने पारा 39 डिग्री को पार करता रहा. लिहाजा पंखे की बात तो दूर कूलर भी बेअसर साबित होता रहा. स्थिति इतनी विकराल हो गयी है कि फ्रिज पर भी इसका असर नजर आने लगा है. चंद मिनट में ठंडा हो जानेवाले पानी के बोतल इन दिनों घंटों बाद भी चिल्ड नहीं हो पा रहे हैं. मौसम की इसी विकराल स्थिति को देखते हुए प्रदेश के सभी स्कूलों को आगामी 15 जून तक के लिए बंद कर दिया गया है. इससे स्कूली बच्चों के साथ इस बार शिक्षकों को भी राहत मिली है. सनद रहे कि गत आठ जून तक मौसम की इसी तल्खी को देखते हुए बच्चों के लिए स्कूलों के साथ कोचिंग को बंद कर दिया गया था. इस बंदी के बाद सोमवार को स्कूल खुले, परंतु मौसम के तेवर को देखते हुए इसे पुन: बंद कर देना पड़ा है. हालांकि स्कूल में छुट्टी हो जाने के बावजूद बच्चे खुश नजर नहीं आ रहे. लगभग शाम छह बजे तक तीखी धूप खिले रहने के कारण उन्हें घर से बाहर निकलने नहीं दिया जाता. उमस के कारण बच्चे भी खेल में खुद को सहज महसूस नहीं कर पाते. इस विकट मौसम के निजात के लिए लोग मॉनसून के आगमन को लेकर टकटकी लगाये बैठे हैं.
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