Darbhanga News: विश्व को दिशा दिखा सकते संस्कृत भाषा में लिखित दर्शन, साहित्य, वेद और पुराण

Darbhanga News:संस्कृत भारती के क्षेत्र मंत्री श्रीप्रकाश पांडेय ने कहा कि भाषा बोलने से ही आती है. संस्कृत भाषा को सरल रूप में बोलने से ही इस भाषा का प्रचार प्रसार हो सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 10, 2024 11:38 PM

Darbhanga News: दरभंगा. संस्कृत भारती के क्षेत्र मंत्री श्रीप्रकाश पांडेय ने कहा कि भाषा बोलने से ही आती है. संस्कृत भाषा को सरल रूप में बोलने से ही इस भाषा का प्रचार प्रसार हो सकता है. भारतीय संस्कृति का आधार स्वरूप संस्कृत भाषा में लिखित दर्शन, साहित्य, वेद, पुराण आदि वे निधि हैं, जो सम्पूर्ण विश्व को दिशा दिखला सकते हैं. ज्ञान, विज्ञान एवं संस्कार की भाषा के रूप में अनादि काल से प्रवाहित हो रही संस्कृत रूपी गंगा में, जिसने अवगाहन किया, वह निश्चय ही संस्कारित मानव के रूप में विश्व का मार्गदर्शन करेगा. वे सीएम कॉलेज में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत अध्ययन केन्द्र तथा संस्कृत भारती के सहयोग से आयोजित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे.

संस्कृत किसी धर्म, जाति या संप्रदाय की भाषा नहीं- प्रो. मुश्ताक

प्रधानाचार्य प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि यह भाषा किसी धर्म, जाति या संप्रदाय की नहीं, अपितु ज्ञान एवं विज्ञान की भाषा है. दरभंगा के रहने वाले एक मुस्लिम विद्वान मुल्ला अबुल हसन ने उस जमाने में मुगल वंश की तीन पीढ़ियों को संस्कृत का ज्ञान दिया था. यह वही मिथिला है, जहांं तोते भी संस्कृत में ही बात करते थे. कहा कि परंतु आज इसके बोलने वाले कम हो गए हैं. आज आवश्यकता है कि संस्कृत को जन जन तक पहुंंचाया जाए.

संस्कृत में सभी विषयों एवं भाषाओं को अनुप्राणित करने की शक्ति- प्रो. सुरेश्वर

प्रो. सुरेश्वर झा ने कहा कि लोग कहते हैं संस्कृत मृत भाषा है. इसका मतलब यह है कि जीवित के संग- संग यह मृतकों की भी भाषा है. इसी भाषा में मंत्र बोलकर अंतिम संस्कार कराया जाता है. कहा कि यह अमृत तुल्य भाषा है, जिसमें सभी विषयों एवं भाषाओं को अनुप्राणित करने की शक्ति है. सदर के बीडीओ डॉ रवि रंजन ने कहा कि संस्कृत पढ़ने की परम्परा में ह्रास दिखने के बावजूद वर्तमान में भी संस्कृत की नैतिक, आध्यात्मिक एवं व्यावसायिक प्रासंगिकता अक्षुण्ण बनी हुई है.

कोई भी व्यक्ति ले सकता नामांकन

डॉ संजीत कुमार झा ने कहा कि 10 दिन के कार्यक्रम को पूर्ण करने पर प्रतिभागी सामान्य संस्कृत बोलना सीख जाएंगे. इसमें नामांकन लेकर कोई भी व्यक्ति संस्कृत का विशिष्ट ज्ञान प्राप्त कर सकता है. डॉ मनीष कुमार झा ने संस्कृत पढ़कर पत्रकार, राजभाषा अधिकारी, अनुवादक, धर्मगुरु, शिक्षक, अधिकारी आदि बनने के बारे में बताया. संचालन अमित कुमार झा, स्वागत गान अभिजीत कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ शशिभूषण भट्ट ने किया. कार्यक्रम में डॉ सुरेंद्र भारद्वाज, डॉ अमलेन्दु शेखर पाठक, डॉ आदित्य सिंह, डॉ अभिमन्यु कुमार, डॉ मुकेश रजक, डॉ रूपेन्द्र कुमार झा, डॉ विभेष चतुर्वेदी आदि मौजूद थे.

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