गौड़ाबौराम (दरभंगा).
कोसी की विभीषिका झेल रहे बाढ़ पीड़ितों का दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ रहा. बड़गांव थाना क्षेत्र के चतरा स्थित कमला बलान नदी के पूर्वी बांध पर शरण ले रखे बाढ़ पीड़ितों के लिए गुरुवार की रात बेहद भयानक साबित हुई. अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश की जद्दोजहद कर रहे पीड़ितों पर एक और आफत टूट पड़ी. घास-फूस से बना रैन बसेरा धू-धूकर जल गया. बताया जाता है कि रात में लोग अपने अस्थायी घरों में सो रहे थे. इसी दौरान महेंद्र मुखिया के फूस के घर में आग लग गयी. देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया. उसके घर से सटे धरवेंद्र मुखिया, जितेंद्र मुखिया व सतवीर मुखिया के घर को भी अपनी आगोश में ले लिया. लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गयी. जबतक आग पर काबू पायी जाती, तबतक समाजसेवियों की ओर से पीड़ितों को दिए गए अनाज, बर्तन, वस्त्र सहित अन्य सामान जलकर राख हो गये. अग्निशमन विभाग के दमकल वाहन के साथ कर्मियों के पहुंचने के बाद आग पर काबू पाया जा सका. इस अगलगी की घटना में महेंद्र मुखिया की एक गाय व जितेंद्र मुखिया की दो व सतवीर मुखिया की तीन बकरियां भी झुलस मरी. इस हादसे से पीड़ितों को दोहरा मानसिक व आर्थिक आघात पहुंचा है. आग कैसे लगी, इसके कारण का पता नहीं चल सका. 29 सितंबर की देर रात कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध टूटने के बाद चतरा पूर्वी टोल के सैकड़ों परिवारों ने इस बांध पर शरण लिया था. उनके घर और खेत पानी में डूब गये. पूरी संपत्ति बर्बाद हो गयी. ऐसे में ये परिवार अपना घर-बार छोड़ सुरक्षित स्थान की तलाश में कमला नदी के पूर्वी बांध पर मवेशियों व बची-खुची सामग्री के साथ अस्थायी फूस का घर बनाकर रह रहे थे. आग की लपट इतनी तेज थी कि वहां पर मौजूद लोग अपनी संपत्ति व मवेशियों को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सके. इस घटना के बाद बाढ़ प्रभावित परिवारों के पास न तो सिर छिपाने के लिए छत बची है और न ही जीवन-यापन के लिए आवश्यक सामग्री. मौके पर जिपस छेदी साहु, सरपंच प्रतिनिधि आशीष कुमार सिंह, पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ दीपक कुमार, मुखिया प्रतिनिधि देवकांत सहनी ने क्षति का आकलन किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है