दरभंगा. लहेरियासराय स्थित ऑडिटोरियम में रविवार को भाकपा माले की ओर से आयोजित मिथिला विकास सम्मेलन में पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा ने कहा कि आजादी से पहले इस इलाके में जितने उद्योग और फैक्ट्रियां थीं, सभी बंद हो चुकी हैं. खेती तबाह हो चुकी है. इस क्षेत्र को बाढ़ और सुखाड़ का संकट लगातार प्रभावित कर रहा है, लेकिन विगत दो-तीन दशकों में इस क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया गया. राजनीति से मिथिला को दरकिनार कर दिया गया है. इस वजह से मिथिलांचल बहुत बड़ी उपेक्षा का शिकार हुआ है. आगामी 27 अक्तूबर को पटना में न्याय सम्मेलन होगा, जहां हम नए बिहार के लिए हुंकार भरेंगे. पार्टी के जिला सचिव बैद्यनाथ यादव, ध्रुव नारायण कर्ण व राज्य कमेटी सदस्य वंदना सिंह की संयुक्त अध्यक्षता में विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि राज्य में स्मार्ट मीटर, राशन कार्ड और भूमि सर्वेक्षण, खेतिहर मजदूर की बदहाली, लोगों की खेती में खत्म होती दिलचस्पी, मजदूरों के पलायन, स्कूलों में पढ़ाई की बद्तर स्थिति, जीविका दीदियों की बदहाली जैसे मुद्दे हैं, लेकिन सरकार का इनके प्रति रवैया निरंतर दमनकारी होता जा रहा है. हम इन मुद्दों पर जनता को एकजुट करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सूरज ने कहा कि हमें संसाधनों के समान वितरण के प्रश्न को राजनीति का केंद्रीय प्रश्न बनाने की ओर बढ़ना होगा. मौके पर पूर्व विधायक मंजू प्रकाश ने कहा कि आजादी के इतने वर्षों के बाद भी मिथिला में इतनी गरीबी और बेरोजगारी है कि यह क्षेत्र राज्य का मैला आंचल बना हुआ है. सम्मेलन में आरके सहनी, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो. सुरेंद्र सुमन, आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत, जीतेन्द्र यादव, ऐपवा नेत्री वंदना सिंह, नेयाज अहमद, अभिषेक कुमार, नंदलाल ठाकुर ने भी विचार रखे.
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