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मक्के की लहलहाती फसल पर तूफान का कहर, आंधी-बारिश से चौपट हुई फसल, किसानों का संकट गहराया, देखें तसवीर

मक्के की लहलहाती फसल देख किसनों ने कई सपने मन में सजा रखे थे. परन्तु, यास नामक चक्रवाती तुफान के कारण लगातार चार दिनों तक तेज आंधी और मूसलाधार बारिश ने एक झटके में ही किसानों के सारे सपने को चकनाचुर कर दिया. लहलहाती मकई की फसल, जो कुछ दिनों में तैयार होनी थी. उसे जमींदोज कर दिया, वहीं बारिश के पानी में अधिकांश फसल के डूब जाने से किसानों के सारे आरमान पानी पानी हो गए. खेत में बारिश का पानी बाढ़ का नजारा प्रस्तुत कर रहा है.

मक्के की लहलहाती फसल देख किसनों ने कई सपने मन में सजा रखे थे. परन्तु, यास नामक चक्रवाती तुफान के कारण लगातार चार दिनों तक तेज आंधी और मूसलाधार बारिश ने एक झटके में ही किसानों के सारे सपने को चकनाचुर कर दिया. लहलहाती मकई की फसल, जो कुछ दिनों में तैयार होनी थी. उसे जमींदोज कर दिया, वहीं बारिश के पानी में अधिकांश फसल के डूब जाने से किसानों के सारे आरमान पानी पानी हो गए. खेत में बारिश का पानी बाढ़ का नजारा प्रस्तुत कर रहा है.

कई किसानों के आंधी में गिरे मकई की फसल जमींदोज होकर कमर भर पानी में डुब चुके हैं. जो फसल खड़े है उसे पानी में घुसकर तोड़ने लगे हैं. पानी से बाहर निकालकर सुखी जगह पर रखने के लिए किसान कहीं-कहीं नाव का सहारा भी ले रहे हैं. परिजनों के साथ किसान कच्चे-पक्के बाली को तोड़ने को मशक्कत कर रहे है. पानी से निकालने के बाद यह फसल किसी काम की नहीं होगी, बावजूद किसान इसे निकाल कर मन को तसल्ली दे रहे हैं.

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मक्के की लहलहाती फसल पर तूफान का कहर, आंधी-बारिश से चौपट हुई फसल, किसानों का संकट गहराया, देखें तसवीर 5

बताया जाता है कि बाढ़ प्रभावित कुशेश्वरस्थान क्षेत्र के किसान एकमात्र रबी फसल की खेती ही कर पाते है. गेहूं व मक्का पर ही इनकी निर्भरता है. आमतौर पर खेतों से बाढ़ का पानी देरी से निकलता है. फसल के लिए खेत देर से तैयार होने तथा व्यवसायिक दृष्टिकोण से अधिक आमदनी देने के कारण किसान अधिक से अधिक खेतों में मक्के की फसल बोआई करते हैं. साल भर खाने लायक ही गेहूं की खेती करते हैं.

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इस बार कुशेश्वरस्थान प्रखंड क्षेत्र में तीन हजार हेक्टेयर में मकई का अच्छादन होने की बात कही गयी है. जिसमें 75 प्रतिशत से भी अधिक फसल का नुकसान आंधी-बारिश से हो गयी है. वर्ष 2020 के बाढ़ में बहुत कुछ गवां चुके किसानों ने जी तोड़ मेहनत कर मक्के की खेती की थी. खेतों में लहलहाती फसल देख किसान भी गदगद थे.

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औराही के शिवनाथ मुखिया बताते हैं कि प्रति कठ्ठा चार से पांच मन दाना मकई अमुमन उपजता था. परन्तु इस बार अच्छी फसल देख छह से सात मन दाना होने का अनुमान था. इतनी अच्छी फसल आज तक देखी नहीं थी. अच्छी फसल देख मन में कई सपने बुन रखे थे. बेटे- बेटियों की शादी, बच्चों को अच्छे स्कुल में पढ़ाई, पक्के का घर बनान सहित कइ अरमान संजो रखे थे. उन्हें क्या पता था की एक झटके में ही आंधी-बारिश उनके सारे सपने को रौंद डालेगी. सबसे बुरा हाल तो उन छोटे-छोटे किसान व बटाईदार किसानों की है, जो महाजनों से सूद पर रूपये लेकर खेती किये है. एक तरफ ब्याज सहित महाजन का रूपया वापस करने की चिंता है, तो दूसरी तरफ परिजनों को दो जून की रोटी उपलब्ध कराने का फिक्र.

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अपनी फसल को बर्बाद हुआ देख किसान निराश हैं. उन्होंने बताया कि यह स्थिति किसी एक दो किसानों की नहीं है. बल्कि प्रखंड क्षेत्र के विषहरिया, भदहर, औराही, बेरि, हरिनगर, हिरणी, मसानखोन, बरना, गोठानी , दिनमो, पकाही झझड़ा, हरौली, बड़गांव, चिगड़ी सिमराहा पंचायत के सैकड़ों गांव के हजारों किसानों की स्थिति कमोबेश एक जैसी है. अपना सब कुछ गवां चुके ये किसान अब सरकार की ओर टकटकी लगाये बैठे हैं.

इस संबंध में प्रभारी बीएओ अर्जून कुमार साहू ने बताया की आंधी और मूसलाधार बारिश से मकई के फसल के क्षति की सूचना मिली है. विभागीय निर्देश पर क्षति का आकलन करवाया जाएगा. उसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी.

कुशेश्वरस्थान से सुधीर चौधरी के साथ शिवेंद्र की रिपोर्ट

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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