किशनगंज में डीडीसी के पद पर कार्यरत आईएएस स्पर्श गुप्ता आंखों से नहीं, ”स्पर्श” के सहारे दुनिया को देखते हैं. आंखों में रोशनी नहीं थी, लेकिन उन्होंने अदम्य साहस का सहारा लेकर अपनी तलाश पूरी की. उनकी आंखों ने बचपन में कई सपने देखे थे. उन सपनों में सबसे बड़ा सपना आइएएस बनना था. उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और संघर्ष के बल पर आइएएस अधिकारी बन कर इतिहास रच दिया. जब जन्म के कुछ दिनों के बाद ही आंखों की रोशनी जाती रही, तो मां ने हिम्मत बंधाते हुए आंखों को चूम कर ये दुआ की थी कि ईश्वर मेरे लाडले के जीवन को मोतियों से भर दे. मां की दुआ सच साबित हुई और स्पर्श गुप्ता ने संघर्ष के बल पर नयी इतिहास लिख डाली.
किशनगंज में डीडीसी के पद पर योगदान करने से पहले स्पर्श गुप्ता कहते हैं कि दृष्टि बाधित होना कार्य क्षमता को कतई प्रभावित नहीं करता है. मैं विगत डेढ़ वर्ष से दरभंगा में बतौर एसडीओ कार्यरत रहा हूं. मैंने प्रशासनिक कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया है. उनका बतौर डीडीसी किशनगंज में पदस्थापना के लिए नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के अंदर में किशनगंज में पदभार ग्रहण कर लेंगे. उन्होंने कहा कि डिसेबिलिटी कुछ नहीं होती. यह सिर्फ एक मेंटल बैरियर है, जो आप अपने दिमाग में बनाते हैं. हमें उनसे बाहर निकलना होता है.
गुप्ता 2019 बैच के आइएएस अधिकारी हैं. उनका जन्म कैटरैक्ट (एक तरह का मोतियाबंद) के साथ हुआ था और समय के साथ उनकी दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गयी. हालांकि रोशनी जाने से भी स्पर्श ने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन की इस सच्चाई को स्वीकार करते हुए आइएएस जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की. उन्हें एक तेज-तर्रार व व्यवहार कुशल अधिकारी के रूप में जाना जाता है. वे प्रतिदिन नये सपने देखते हैं और उसे पूरा करने में जुट जाते हैं. शायर नसीर अहमद नासिर के शब्दों में कहें, तो यह कह सकते हैं कि अभी वो आंख भी सोई नहीं है. अभी वो ख्वाब भी जागा हुआ है.