बिहार में 5 वर्षों में हुई वज्रपात से 1000 से ज्यादा मौतें, जानें ठनके से बचने के क्या हैं उपाय

राज्य में पांच वर्षों में वज्रपात से लगभग 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. अगर इस मॉनसून की बात करें,तो लगभग 80 से अधिक लोगों की मौत वज्रपात से हो चुकी है. इस बढ़ते वज्रपात को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने मौसम विज्ञान केंद्र के अलर्ट को हर घंटे जिलों को भेज रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 3, 2022 9:30 AM
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पटना. राज्य में पांच वर्षों में वज्रपात से लगभग 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. अगर इस मॉनसून की बात करें,तो लगभग 80 से अधिक लोगों की मौत वज्रपात से हो चुकी है. इस बढ़ते वज्रपात को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने मौसम विज्ञान केंद्र के अलर्ट को हर घंटे जिलों को भेज रहा है, ताकि ग्रामीण इलाकों में वज्रपात से होने वाली मौत कम- से- कम हो सके.

जुलाई और अगस्त में अधिक होती है वज्रपात की घटनाएं

विभाग के मुताबिक जुलाई और अगस्त में सबसे अधिक वर्षा होती हैं, दक्षिण-पश्चिम माॅनसून के दौरान वज्रपात की संभावना बढ़ जाती है. इसे देखते हुए आपदा प्राधिकरण ने सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को एसएमएस से अलर्ट भेजना शुरू किया है, ताकि लोग वज्रपात से सुरक्षित हो सकें.

जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है

आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देश पर राज्य में वज्रपात से लोगों को बचाने के लिए हर जिला में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. अभियान में वीडियो क्लिप, ऑडियो और एसएमएस का उपयोग हो रहा है, ताकि लोग वज्रपात से अलर्ट हो सकें. लोगों ने अपील की गयी है कि वो बचाव के उपाय को अपनाएं और अपनी जान की सुरक्षा करें.

बचाव के लिए यह करें

  • खेती से जुड़े कार्यों कोतत्काल बंद कर दें .

  • तालाब, नदी, नहर या किसी भी जल निकाय में जानवरों को धोने या मछली पकड़ने गये हो तो यह कार्य बंद कर दें.

  • नौका का परिचालन बंद कर दें.

  • यदि घर के अंदर हों छत पर न जाएं.

  • यदि आप घर में हैं, तो खिड़की के पास या दरवाजे के बाहर न खड़े हों.

  • बिजली के उपकरणों के प्लग निकाल दें.

  • ऐसी वस्तुएं, जो बिजली की सुचालक हैं, उससे दूर रहें. जैसे प्लग, फ्रीज आदि.

  • लोहे की पाइप को न छूएं. नल से बहते पानी का उपयोग न करें.

  • धातु से बनी छत वाले घर के अंदर शरण न लें.

  • बच्चों को खुले स्थानों में न जाने दें.

  • स्थानीय रेडियो, मोबाइल फोन या अन्य संचार के साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें.

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