पटना. राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गयी है. राज्यपाल कोटे की मनोनयन वाली 12 सीटों के अलावा विधानसभा कोटे की दो सीटों के अलावा स्थानीय निकाय कोटे की चार सीटें भी खाली हो गयी हैं.
इस तरह से विधानसभा में 18 सीटें खाली हैं. इसमें पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की विधानसभा कोटे की एक सीट उनके राज्यसभा सदस्य मनोनीत होने के बाद ही खाली होगी, जबकि विनोद नारायण झा के इस बार विधायक बनने के बाद उनकी विधानसभा कोटे की सीट खाली हो गयी है.
हालांकि, इसमें फिलहाल 12 सीटों पर ही जद्दोजहद शुरू हुई है. इन सीटों को भरने के लिए जल्द ही कैबिनेट के स्तर पर निर्णय होने की संभावना है. इन 12 सीटों को भरने के बाद ही शेष सीटों को सिलसिलेबार तरीके से भरने की कवायद शुरू होगी.
इसमें स्थानीय निकाय की सीटों को भरने के लिए तो चुनाव होंगे. जबकि, विधानसभा कोटा की दो खाली होने वाली सीटें विधायकों की संख्या के आधार पर चयन के बाद भरी जायेंगी. इसमें बहुमत के आधार एक-एक सीट भाजपा और जदयू को मिलने की संभावना है.
राज्यपाल कोटा की मनोनयन वाली 12 सीटों में एक-एक सीट वीआइपी और हम के खाते में जायेगी, जबकि शेष 10 सीटों में पांच-पांच सीटें भाजपा एवं जदयू दोनों को मिलने के आसार हैं.
यह संभावना जतायी जा रही है कि मंत्रिमंडल विस्तार के पहले मनोनयन कोटा के सीटों की घोषणा हो सकती है.
अब तक इस कोटा के तहत जिनका जाना तय माना जा रहा है, उसमें जदयू की तरफ से अशोक चौधरी, वीआईपी के मुकेश सहनी, हम पार्टी से एक के अलावा अन्य कई लोगों के समीकरण के आधार पर चर्चा तेजी से चल रही है.
इसमें दोनों प्रमुख पार्टियां सामाजिक समीकरण के साथ ही राजनीतिक समीकरण बैठने की जुगत में भी लगी हुई हैं. भाजपा की अभी विधान परिषद में सीटों की संख्या 19 है. इसमें इस बार 6-7 सीटें बढ़ाने के आसार हैं.
Posted by Ashish Jha