राजेश कुमार ओझा
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव (MP Election 2023) में अभी करीब छह माह बचे हैं. लेकिन अभी से दल-बदल की राजनीति तेज हो गई है. चुनाव से पहले ही कांग्रेस की ‘झोली’ में बीजेपी के दो दिग्गज के आने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए दोनों दिग्गज नेताओं ने वादा भी किया है कि कांग्रेस के हाथ को मजबूत करेंगे. बीजेपी के इन दोनों नेताओं के कांग्रेस में आने के बाद इसकी चर्चा तेज हो गई है कि क्या यह सिलसिला जारी रहेगा. दरअसल, दतिया के पूर्व विधायक राधेलाल बघेल और देवास जिले के पूर्व विधायक दीपक जोशी का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्वॉइन करने के बाद कांग्रेस नेता उत्साहित हैं. दूसरी तरफ बीजेपी डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है.
इससे पहले कांग्रेस के नेता ही ज्यादातर टूटकर बीजेपी में जाया करते थे. लेकिन, इस बार समीकरण कुछ ऐसे बदले हैं कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं. इससे उत्साहित कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने दावा किया है कि बीजेपी के कई बड़े नेता और मौजूदा विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं. एमपी से बीजेपी की सरकार की रवानगी में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. बीजेपी में मची इस भगदड़ पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा कि जो कोई कांग्रेस में आना चाहते हैं हम उनका स्वागत करते हैं. लेकिन, विधायक का टिकट किसे मिलेगा. यह पार्टी के कार्यकर्ता ही तय करेंगे. इसका मतलब साफ है कि टिकट की उम्मीद में पार्टी में नहीं आए.
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत भी प्रियंका गांधी वाड्रा करेंगी. सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर आएंगी. वहां पर उनकी जनसभा, रोड शो और कार्यकर्ता सम्मेलन होना है. प्रियंका गांधी से चर्चा करने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रदेश कांग्रेस और जिला इकाई को तैयारी करने के निर्देश दिए हैं. इसके बाद विंध्य, बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल और मालवा-निमाड़ क्षेत्र में जनसभाएं होने की चर्चा की जा रही है. कहा जा रहा है कि इसमें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अन्य वरिष्ठ नेता हिस्सा लेंगे. कांग्रेस पार्टी चुनाव अभियान की शुरुआत महाकोशल से करेगी. यहां पर पार्टी का प्रदर्शन 2018 के चुनाव में अच्छा था. छिंदवाड़ा जिले की सभी सातों सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. यही स्थिति डिंडौरी में भी थी.