अनुराग प्रधान, पटना. पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय से विभिन्न विषयों में सर्टिफिकेट व डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को धीरे-धीरे नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है. सत्र 2016 में बीलिस, पीजी डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन फाइनेंशियल मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन ऑपरेशन मैनेजमेंट के सर्टिफिकेट व डिग्री प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को कई जगहों पर नौकरी से वंचित कर दिया है. करीब 300 से अधिक स्टूडेंट्स इन चारों कोर्स में शामिल थे. इनमें कई स्टूडेंट्स अलग-अलग सेक्टर में नौकरी कर रहे हैं. जिस सेक्टर में इन सर्टिफिकेट पर नौकरी मिली है, उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है.
अभी हाल में पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय से बीलिस की डिग्री प्राप्त करने वाले प्रभात कुमार सिंह की नौकरी नवोदय विद्यालय, हैदराबाद में लगी थी. लेकिन, एक माह पहले उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा. नौकरी के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में उनकी बीलिस की डिग्री को अवैध करार दिया गया. नौकरी जाने के बाद प्रभात कुमार सिंह ने पीयू प्रशासन पर केस दर्ज कराया है. इस संबंध में बुधवार को इस सत्र के तनवीर अहमद, अहमद हुसैन, सुनील के साथ अन्य स्टूडेंट्स ने कुलपति प्रो गिरीश कुमार चौधरी से मुलाकात की. प्रो चौधरी ने कहा कि इस संबंध में स्टूडेंट्स को आवेदन देने के लिए कहा गया है. मामले को गंभीरतापूर्वक देखा जायेगा. इस संबंध में इन सभी स्टूडेंट्स से भी राय मांगी गयी है.
इससे पहले भी यहां से डिग्री प्राप्त करने वाले देबाशीष पंडित पाल की नौकरी बंगाल में लगी थी. लेकिन, नौकरी के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में उनकी नौकरी चली गयी. उन्हें बीलिस की डिग्री को सही प्रूफ करने के लिए समय भी दिया गया, लेकिन यूनिवर्सिटी और बिहार सरकार से कोई मदद नहीं मिल सकी थी. बंगाल सरकार ने वेरिफिकेशन में पाया कि इनकी बीलिस की डिग्री वैध नहीं है. लेकिन, एमलिस की डिग्री सही है. जबकि देबाशीष ने दोनों डिग्री पीयू से प्राप्त की है और दोनों में वह गोल्ड मेडलिस्ट हैं. लेकिन उनकी बीलिस की डिग्री को फर्जी करार दे दिया गया. इस तरह के काफी स्टूडेंट्स अब भी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन कभी भी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में फंस सकते हैं. इस कारण स्टूडेंट्स इस डिग्री को वैध करने की मांग पीयू प्रशासन से कर रहे हैं.
पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय की बीकॉम और बीए की डिग्री भी अवैध थी, लेकिन पीयू प्रशासन ने बिहार सरकार से अनुमति प्राप्त कर बीए और बीकॉम की डिग्री को रेगुलर मोड में परिवर्तित करा दिया. इसके बाद सभी स्टूडेंट्स को डिस्टेंस वाली मार्क्सशीट को सरेंडर करा कर रेगुलर मोड की मार्क्सशीट दी गयी. अंतिम वर्ष में सभी स्टूडेंट्स को रेगुलर मोड वाले कॉलेज में ट्रांसफर भी कर दिया गया था. लेकिन, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के विभिन्न कोर्स की डिग्री अब भी अवैध है. इसे अब तक वैध नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि सत्र 2016 में पीयू के दूर शिक्षा निदेशालय को मान्यता नहीं मिली थी. लेकिन, डिस्टेंस मोड में एडमिशन ले लिया गया. जब डिग्री की वैधता पर सवाल उठना शुरू हुआ, तो पीयू ने आनन-फानन में बीए और बीकॉम के सभी स्टूडेंट्स को रेगुलर मोड से डिग्री प्रदान कर दी. लेकिन एक साल के सभी कोर्स का मामला फंस गया. इन सभी कोर्स की परीक्षा हो गयी थी. सर्टिफिकेट और मार्क्सशीट भी जारी कर दी गयी थी. इस कारण इन सभी को रेगुलर मोड में डिग्री को लेकर योजना नहीं बन पायी. इस संबंध में डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ अनिल कुमार ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रयास करेगी. स्टूडेंट्स आवेदन देंगे. बीए और बीकॉम वाले स्टूडेंट्स को रेगुलर में शिफ्ट कर दिया गया था.
वहीं, पीयू के अन्य अधिकारियों ने कहा कि एक साल के कोर्स के कारण मामला फंस गया है. हम लोग स्टूडेंट्स के पक्ष में हैं. इस संबंध में कोर्स कर चुके स्टूडेंट्स की डिग्री को वैध करने की मांग की गयी है. कोर्ट में पहले से भी एक मामला चल रहा है. उस समय की सारी डिग्री रद्द कर फ्रेश डिग्री देने की अनुमति के लिए पत्र भी लिखा गया है. एक साल का कोर्स होने के कारण मामला फंस गया था. बाकी बीए और बीकॉम के लिए अनुमति मांगी गयी थी और अनुमति के बाद ही सभी स्टूडेंट्स को रेगुलर मोड में डिग्री दी गयी.
पीयू के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय को यूजीसी से स्नातक कोर्स में नामांकन की अनुमति 2016 में नहीं मिली थी. इसके बावजूद 1800 से अधिक छात्रों का एडमिशन लिया गया. पीयू प्रशासन ने कहा कि एडमिशन लेने के बाद अनुमति नहीं मिलने की जानकारी यूजीसी ने दी थी. 2017 और 2018 में दूर शिक्षा निदेशालय को अनुमति नहीं मिलने के बाद इच्छुक छात्रों को नियमित कोर्स में स्थानांतरित कर दिया गया था. स्नातक पार्ट वन और टू की परीक्षा डिस्टेंस मोड के आधार पर ही हुई थी, लेकिन, अंतिम वर्ष में छात्रों को 2019 में रेगुलर मोड में शामिल कर लिया गया और अन्य वर्ष का मार्क्सशीट भी रेगुलर मोड में जारी कर दी गयी. बीकॉम में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को वाणिज्य महाविद्यालय और बीए के छात्रों को पटना कॉलेज, बीएन कॉलेज, मगध महिला कॉलेज में शिफ्ट कर रेगुलर कर दिया गया था.
रेगुलर मोड से डिग्री मिलने के बाद भी कई स्टूडेंट्स को प्रोमोशन में परेशानी खड़ी हो गयी है. एसएससी इंटर स्तरीय जॉब करने वाले कई स्टूडेंट्स को इस डिग्री पर प्रोमोशन नहीं मिल रहा है. विभाग ने कहा कि नौकरी करते हुए रेगुलर डिग्री कैसे प्राप्त हो गयी. वहीं, इस तरह के विभिन्न विभागों में कई ऐसे नौकरीपेशा हैं, जिनको डिस्टेंस के बाद रेगुलर से डिग्री मिलने पर प्रमोशन नहीं दिया जा रहा है. प्रमोशन नहीं मिलने से कई लोग परेशान हैं. केंद्रीय कर्मचारी दीपक (बदला हुआ नाम) ने कहा कि इंटर पास पर ही मुझे नौकरी मिली है. प्रोमोशन के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री भी लगानी थी, लेकिन डिग्री तो हुई, लेकिन गलत डिग्री हासिल हो गयी. डिस्टेंस से बदल कर पीयू ने रेगुलर मोड में डिग्री दे दी. इसके कारण मेरे साथ कई लोग हैं, जिन्हें इस डिग्री के आधार पर प्रमोशन नहीं दिया गया है.