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Explainer: डेंगू के बाद अस्पतालों में बढ़ने लगे डायरिया व चर्म रोग के मरीज, जानें कारण व बचने के उपाय

Bihar News: बिहार में डेंगू के बाद अस्पतालों में डायरिया व चर्म रोग के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. बीमारियों ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. डेंगू के नए संक्रमित फिर मिले है.

Bihar News: डेंगू के बाद अब बिहार के अस्पतालों में डायरिया व चर्म रोग के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. मौसम में हुए बदलाव ने एक बार फिर से लोगों की समस्या को बढ़ा दिया है. अस्पतालों में बुखार, टाइफाइड व डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. सर्दी, खांसा व पिंक आई के मरीजों की संख्या बढ़ी है. वहीं, चिकित्सकों के अनुसार गर्मी के बढ़ने से मरीजों की संख्या में और इजाफा हो सकता है. पटना में पांच डेंगू के मरीज मिले है. शहर के डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पांच नये डेंगू संक्रमित मिले है. इसमें दो अजीमाबाद, दो बांकीपुर व एक कंकड़बाग के मरीजों में डेंगू की पुष्टि की गयी है.

आई फ्लू ने भी लोगों की बढ़ाई परेशानी

भागलपुर में बाढ़ राहत व डेंगू की रोकथाम के लिए बैठक की गई. बैठक में शामिल सदस्यों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि बाढ़ राहत व डेंगू की रोकथाम के लिए अभियान चलाया जायेगा. बता दें कि डेंगू के अलावा आई फ्लू ने भी लोगों की समस्या को बढ़ा दिया है. जिले के 45 % लोगों को आई फ्लू हुआ है. पीएचसी व सीएचसी से जो प्रारंभिक रिपोर्ट भेजी गयी है, उसमें यह बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इसमें सबसे अधिक 20 प्रतिशत युवा शामिल हैं. जबकि 15 प्रतिशत 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले शामिल हैं. सबसे कम दस प्रतिशत बच्चों को आई फ्लू हुआ है. एसीएमओ सुभाष कुमार ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिले के सभी पीएचसी व सीएचसी और सदर अस्पताल के नेत्र विभाग से जो डाटा लिया गया है. उसमें यह बात सामने आयी है.

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आई फ्लू होने के बाद चिकित्सक से करें संपर्क

हालांकि, जिले में अधिक लोग आई फ्लू की चपेट में नहीं आये है. उन्होंने कहा कि पीएचसी व सीएचसी को पत्र जारी कर कहा गया है कि आई फ्लू के हर दिन कितने मामले आ रहे है. इसमें यह भी देखा जाये कि किस इलाके से अधिक केस आ रहे हैं. अगर किसी इलाके से अधिक केस आते हैं, तो वहां कैंप लगाये जाये. एसीएमओ ने कहा कि ओपीडी के दवा काउंटर पर आई ड्रॉप उपलब्ध कराये गये हैं. उन्होंने कहा कि इस समय आई फ्लू के मामले कम हुए हैं. यह जानलेवा नहीं है, लेकिन सभी जरूरी आई ड्रॉप व दवा काउंटर में उपलब्ध करायी गयी है. आई फ्लू होने के बाद लोग खुद ही घर में इलाज न करें. इससे उनकी आंखों की हालत अधिक खराब हो सकती है. अगर परिवार या संबंधियों में किसी को आई फ्लू है, तो अन्य लोग दूरी बनाये रखें. इस बीमारी की चपेट में आने के बाद लोगों को चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. खुद से इलाज करना खतरनाक साबित हो सकता है.

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खानपान में परहेज करना जरुरी

डायरिया का प्रकोप बढ़ा है और मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इससे बचने के लिए खानपान में परहेज करना बहुत जरुरी है. डायरिया और दस्त लोगों के लिए मुसीबत बन चुकी है. दस्त और कमजोरी के बाद परिजन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं. चिकित्सक ऐसे में परहेज रखने की सलाह देते है. बगैर उबाले कुआं और चापानल के पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए. बासी भोजन करने से भी डायरिया की समस्या खड़ी हो सकती है. ऐसे में खुद का ख्याल रखना बेहद जरुरी है. अचानक ऐसी समस्या सामने आने पर ओआरएस के घोल का ऊपयोग करना चाहिए. वहीं, आई फ्लू से बचने के लिए बीमार व्यक्ति के चीजों से दूरी बमाकर रखना चाहिए. साथ ही चश्मे का प्रयोग करना चाहिए.

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डायरिया से बचने के लिए बासी भोजन नहीं करना चाहिए. साथ ही पानी को उबाल कर ही पीना चाहिए. समय रहते चिकित्सक से संपर्क करना बहुत ही जरुरी है. डायरिया से बचने के लिए शुद्ध पानी पीएं, अच्छी तरह पके हुए खाने को खाए व ताजा पके हुए गर्म खाने का सेवन करें, कच्चे भोजन का सेवन करने से बचें. चाय, कॉफी, सोडा, चॉकलेट आदि के सेवन से बचें. बार-बार हाथ धोएं और साफ-सफाई का खास ध्यान रखें. साफ सफाई बीमारी से हमें बचा सकता है. दूषित पानी व खाने से रोग होता है. यह परेशानी का कारण बन सकती है. बारिश के मौसम में गंदे पानी और खाद्य पदार्थो से भी कई रोग होते हैं. प्रदूषित व संक्रमित पानी पीने से दस्त जैसी बीमारी हो जाती है. दस्त में पेट दर्द और बुखार के साथ आंतों में सूजन आ जाती है. दस्त लगने पर छाछ में भुना हुआ जीरा डालकर सेवन करना चाहिए.

डायरिया, जिसे आमतौर पर “डायरिया” कहा जाता है, एक प्रकार की पाचनतंत्र संबंधित समस्या है. जिसमें पेट के अंदर खाद्य पदार्थों का सही तरीके से पाचन नहीं होता है और इसके परिणामस्वरूप शारीर से अत्यधिक पानी और खाद्य पदार्थों का निकलना शुरू हो जाता है. यह पानी, विटामिन्स, खनिजों और आपके शरीर की आवश्यकताओं की बर्बादी के कारण तंतु की असमय मृत्यु का कारण बन सकता है.

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खराब खाद्य पदार्थों, निर्मित खाद्य पदार्थों, और गंदे पानी के सेवन से बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स के कारण डायरिया हो सकता है. अशुद्ध पानी पीने से भी डायरिया हो सकता है, क्योंकि अशुद्ध पानी में पाठोजेनिक माइक्रोआर्गेनिजम हो सकते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं. पोषण से वंश के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण भी डायरिया हो सकता है. बच्चों में डायरिया अधिक संक्रमण के कारण होता है, जो उनकी पाचन क्षमता कम कर देते हैं. दूषित हाथों से भोजन करना बिना साबुन से हाथ धोने के बाद खाद्य पकड़ने से डायरिया हो सकता है, क्योंकि इससे कीटाणु आपके खाद्य पदार्थों पर पहुंच सकते हैं. हाथ साबुन से नहीं धोने, साफ और पानी के सेवन में भारतीय स्वच्छता अभियान जैसे पहलुओं की कमी से डायरिया हो सकता है.

डायरिया के लक्षण:

जल्दी दस्त होना.

पानी की कमी के कारण थकान.

उचित पोषण की कमी के कारण कमजोरी.

उचित हिडन होना.

शीघ्र दौड़ने का मन होना.

डायरिया से बचाव के लिए हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना, स्वच्छ पानी पीना, अच्छा खान-पान और पोषण का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है. अगर डायरिया के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक से सलाह प्राप्त करना चाहिए.

बरसात में डायरिया के मरीज बढ़ने के कारण

बरसात के मौसम में डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि बरसाती मौसम में कुछ कारणों के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है. बरसात के मौसम में पानी के स्रोतों की अधिकतम चिकित्सकीय मानकों की पारिति हो सकती है, जिससे पानी में पाठोजेनिक जीवाणु और कीटाणु बढ़ सकते हैं. अशुद्ध पानी पीने से डायरिया के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. बरसाती मौसम में जगह-जगह पानी जमा हो सकता है और यह बच्चों और बड़ों की स्वच्छता की समस्या बन सकती है. अगर साफ-सफाई की नीतियों का पालन नहीं किया जाता है, तो संक्रमणों का प्रसार हो सकता है.

बरसाती मौसम में फ्लाइज़ और मक्खियां अधिक प्रचुर हो सकती हैं, जो खाद्य पदार्थों पर बैक्टीरिया का प्रसार कर सकती हैं और डायरिया के संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकती हैं. बरसाती मौसम में खराब रखे गए खाद्य पदार्थ जल्दी संक्रमित हो सकते हैं, जिससे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से डायरिया का खतरा बढ़ सकता है. बरसाती मौसम में खाद्य पदार्थों के संचयन की कमी हो सकती है और लोग स्थानीय तरीकों से तैयार किए गए खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं, जो अस्वास्थ्यकर हो सकते हैं. बरसाती मौसम में सार्वजनिक स्थलों में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा की स्थितियां कम हो सकती हैं, जिससे संक्रमण के खतरे को बढ़ सकता है. इन कारणों के कारण बरसात में डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. इसलिए, बरसात के मौसम में स्वच्छता, उचित पोषण और स्वस्थ जीवनशैली की सुरक्षा बनाए रखना महत्वपूर्ण है.

बारिश के मौसम में चर्म रोग के मरीज के बढ़ने के कारण

बारिश के मौसम में त्वचा पर नमी और आर्द्रता बढ़ जाती है, जिससे फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ता है. यह संक्रमण खुजली, दानों, और अन्य त्वचा संक्रमण के रूप में प्रकट हो सकते हैं.

बरसाती मौसम में त्वचा की योग्य देखभाल नहीं की जाती हो तो त्वचा की अस्वास्थ्यकर हो सकती है, जिससे चर्म रोगों का खतरा बढ़ सकता है.

बरसाती मौसम में स्थानीय स्थलों पर स्वच्छता ना बनाए रखने के कारण चर्म रोगों का प्रसार हो सकता है.

बरसात के मौसम में निगले गंदे पानी के कारण भी चर्म रोगों का खतरा बढ़ सकता है.

बारिशी मौसम में निश्चित समय तक गीले वस्त्र पहने रहने से भी चर्म रोगों का खतरा बढ़ सकता है.

बारिशी मौसम में शेयर्ड स्थलों में बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण का प्रसार हो सकता है, जिससे चर्म रोगों का खतरा बढ़ सकता है.

बारिश के मौसम में वायरल संक्रमणों की बढ़ती संभावना होती है, जो त्वचा की सुरक्षा को कम कर सकते हैं और चर्म रोगों का प्रसार बढ़ा सकते हैं.

इन कारणों के कारण बारिश में चर्म रोगों का खतरा बढ़ सकता है. इसलिए स्वच्छता और त्वचा की योग्य देखभाल का पालन करना महत्वपूर्ण है ताकि इन समस्याओं से बचा जा सके.

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