डेंगू से गर्भपात का रहता है खतरा? गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की इन बातों का रखें खास ख्याल…
Explainer: बिहार में डेंगू ने अपना पांव तेजी से पसारा है. अबतक 2 हजार से अधिक मरीज सामने आ गए हैं. वहीं एक सवाल अक्सर पूछे जा रहे हैं कि क्या गर्भवती महिलाओं को डेंगू का खतरा अधिक रहता है. गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका क्या असर पड़ता है. जानिए मेडिकल एक्सपर्ट की राय...
Explainer: बिहार में डेंगू के मामले तेजी से बढ़े और अब मरीजों का आंकड़ा 2000 के पार जा चुका है. वहीं भागलपुर समेत अन्य जगहों पर डेंगू से मौत के भी मामले सामने आए हैं. भागलपुर में डेंगू ने पुलिस महकमे में भी आतंक मचाया और डीएसपी समेत कई थानेदार व पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए. वहीं एक सवाल इन दिनों अक्सर सामने आ रहे हैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए डेंगू कितना खतरनाक है. क्या गर्भ में पल रहे शिशु को भी इससे खतरा है. जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट…
डेंगू से रहें सावधान..
डेंगू, मच्छर से होने वाली बीमारियों में से एक घातक बीमारी है. डेंगू संक्रमण मादा एडीज़ नामक मच्छर के काटने से फैलता है. किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि डेंगू के प्रति शिशुओं, वयस्कों बुज़ुर्गों खासकर गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने बताया कि डेंगू में अचानक बुखार शुरू होने के साथ-साथ आमतौर पर सिरदर्द, थकावट, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन और दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
गर्भावस्था को भी करता है प्रभावित
किशनगंज के सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बताया कि गर्भावस्था में वैसे भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है. जिससे डेंगू होने का ख़तरा काफी बढ़ जाता है. अगर किसी गर्भवती महिला को डेंगू हो जाता है तो इससे उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भ पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता. कई बार तो देखा गया है कि डेंगू के कारण कई महिलाओं का गर्भ भी गिर जाता और साथ ही साथ मां की जान पर भी खतरा बढ़ सकता है. इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और बचाव करना चाहिए. जिससे वे खुद को और होने वाले बच्चे को डेंगू संक्रमण से बचा सकें.
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डेंगू होने पर गर्भवती महिलाओं में दिखते हैं ऐसे लक्षण..
गर्भवती महिला को अगर डेंगू हो जाए तो उसे काफी भारी मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है. जिससे कमज़ोरी और दूसरी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. मृत्यु दर भी बढ़ जाता है. डेंगू से मां और बच्चा काफी कमज़ोर हो जाते हैं. समय से पहले बच्चे का पैदा होना भी एक चिंताजनक शिकायत है. प्लेटलेट्स (रक्त कोशिकाओं) की भारी संख्या में कमी हो जाना एक सबसे बड़ी दिक्कत है.
मां से बच्चे को डेंगू होने की आशंका कम
डॉ मंजर आलम ने बताया कि मां से गर्भस्थ शिशु को डेंगू होने की आशंका कम होती है. उन्होंने बताया कि यदि गर्भवती महिला को शिशु के जन्म के समय डेंगू हो, तो नवजात शिशु को जन्म के बाद शुरुआती दो हफ्तों में डेंगू होने का ख़तरा रहता हैं. गर्भ में शिशुओं में डेंगू होने का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है. इसलिए इससे बचाव ही एकमात्र उपाय है. बता दें कि हाल में ही भागलपुर में एक डेंगू संक्रमित प्रसूता ने बच्चे को जन्म दिया. बच्चा स्वस्थ है और संक्रमण मुक्त है.
पटना के डीएम भी डेंगू की चपेट में आए..
पटना में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह खुद डेंगू की चपेट में पड़ गए. स्वस्थ होकर वापस लौटे डीएम ने अधिकारियों को डेंगू को मात देने के लिए नियमित तौर पर सूचना, शिक्षा व जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया. जिले में पर्याप्त मात्रा में केमिकल एवं फॉगिंग संसाधन उपलब्ध होने की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन को निर्देश दिया है कि सभी अनुमंडल पदाधिकारियों तथा सभी नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को प्रगतिशील रहे. सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, रेफरल अस्पतालों तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम सक्रिय है. डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज के घरों के आसपास एक्टिव सर्विलेंस करायी जा रही है. ताकि नये मरीजों की पहचान हो सके. डीएम ने कहा कि डेंगू के उपचार के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में दवा, ब्लड आदि की व्यवस्था पर्याप्त है.
भागलपुर में डेंगू का कहर..
वहीं भागलपुर में डेंगू संक्रमण का सबसे तेज रफ्तार दिखा. डेंगू से अबतक तीन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दो डेंगू मरीजों की मौत संदिग्ध है. इन दोनों के जांच रिपोर्ट आने पर यह पुष्टि हो सकेगी कि मौत डेंगू के कारण हुआ है या अन्य कारणों से. बता दें कि मरीजों की बढ़ी हुई संख्या को देखकर स्थानीय मायागंज अस्पताल में 30 बेड का एक और वार्ड शुरू करना पड़ा है. जबकि पटना में डेंगू का नया वेरिंएट मिला है तो आठ साल के बाद वापस आया है.