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Dengue मरीजों की बढ़ी परेशानी, PMCH समेत 3 अस्पतालों में प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के लिए करना पड़ेगा इंतजार

Dengue के मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. दरअसल, कोविड-19 के समय में प्लाज्मा का महत्व लोगों को समझ आया. मच्छर जनित रोग डेंगू होने पर भी प्लेट्लेटस के लिए इन दिनों मारामारी मची हुई है. इस संकट को खत्म करने के लिए शहर के PMCH में प्लाज्मा थैरेपी शुरू करने के लिए एफेरेसिस मशीन लगायी गयी हैं.

Dengue के मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. दरअसल, कोविड-19 के समय में प्लाज्मा का महत्व लोगों को समझ आया. मच्छर जनित रोग डेंगू होने पर भी प्लेट्लेटस के लिए इन दिनों मारामारी मची हुई है. इस संकट को खत्म करने के लिए शहर के पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्लाज्मा थैरेपी शुरू करने के लिए एफेरेसिस मशीन लगायी गयी हैं. लेकिन बड़ी बात तो यह है कि बीते दो साल हो जाने के बाद भी अभी तक मशीन शुरू नहीं हो पायी. लाइसेंस के अभाव में करीब 60 लाख की मशीन ब्लड बैंक में धूल फांक रही है. ऐसे में पीएमसीएच में मरीजों को प्लेटलेट्स व प्लाजमा की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

एक साथ तीन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आयी थी मशीन

खून से प्लाज्मा और प्लेटलेट्स की उपलब्धता के लिए एफेरेसिस मशीन को स्वास्थ्य विभाग व बीएमआइसीएल की पहल पर शहर के पीएमसीएच के साथ-साथ श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच), मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) में मशीन मुहैया करायी गयी. जानकारों की माने तो बिहार के इन तीनों मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में लाइसेंस के अभाव में लाखों रुपये के प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है. हालांकि अस्पताल प्रशासन की माने तो तीनों अस्पतालों में इस मशीन के लाइसेंस को लेकर प्रक्रिया शुरू की गयी है. राज्य के औषधि महानियंत्रक के माध्यम से ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई), भारत सरकार को अनुरोध किया गया है लेकिन इस पर अबतक मंजूरी नहीं मिली है.

सात प्राइवेट व चार सरकारी अस्पतालों में मशीन हैं से हो रहा काम

राज्य में 11 स्थानों पर प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन संचालित हैं. इनमें मात्र चार सरकारी अस्पतालों में ही यह संचालित हैं. भागलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, शेखपुरा, जय प्रभा ब्लड बैंक, कंकड़बाग एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, (एम्स), फुलवारीशरीफ में प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन संचालित हैं. वहीं, निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में सात जगहों पर इस मशीन का संचालन किया जा रहा है. इनमें महावीर कैंसर अस्पताल, फुलवारीशरीफ, पटना, पारस अस्पताल, पटना, रूबन मेमोरियल अस्पताल पटना, मां ब्लड बैंक सेंटर, निरामया ब्लड बैंक, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल, बिहटा एवं प्रथमा ब्लड बैंक, दानापुर शामिल हैं.

क्या काम करती है मशीन

एफेरेसिस मशीन रक्तदाता से सिर्फ प्लेटलेट ही प्राप्त करती है. रक्तदाता को इस मशीन द्वारा जोड़ दिया जाता है तथा प्लेटलेट किट में केवल प्लेटलेट एकत्रित हो जाते है. रक्त का बाकी हिस्सा वापस रक्तदाता के शरीर में चला जाता है. इस प्रक्रिया में 40 से 60 मिनट का समय लगता है. यह प्रक्रिया इतनी सुरक्षित है कि रक्तदाता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. एक स्वस्थ व्यक्ति 48 घंटे बाद फिर से प्लेटलेट दान कर सकता है. महीने में चार बार व साल में 24 बार एक व्यक्ति बिना किसी हानि के प्लेटलेट दान कर 24 लोगों के जान की रक्षा कर सकता है.

पत्र भेज दिया गया है, मंजूरी मिलते ही शुरू हो जायेगी प्रक्रिया

राज्य औषधि महानियंत्रक आरके सिन्हा ने कहा कि जिन मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एफेरेसिस मशीन मुहैया करायी गयी है वहां पर संचालन करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी गयी है. लाइसेंस के लिए भारत सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा गया है. मंजूरी मिलते ही इसका संचालन शुरू हो जायेगा.

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