पटना. पटना में अस्पताल, सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कॉलेज से लेकर चौक-बाजारों में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ने लगा है. पीड़ितों में रेलवेकर्मियों से लेकर स्कूल के शिक्षक-छात्र, स्वास्थ्य व पुलिसकर्मी से लेकर दुकानदार, बैंककर्मी शामिल हैं. आंकड़ों के मुताबिक इस सीजन में आम लोगों के अलावा 67 रेलवे कर्मचारी भी डेंगू पॉजिटिव हुए हैं. इनमें कुछ वर्तमान में जिले के अलग-अलग स्टेशनों के अलावा कुछ रिटायरकर्मी भी शामिल हैं. इसके अलावा 40 से अधिक पुलिस व जिला प्रशासन के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी व अधिकारियों में डेंगू की पुष्टि हुई है.
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ओपीडी में 50 प्रतिशत मरीज मिल रहे डेंगू के
सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले करीब 50 प्रतिशत मरीज डेंगू से पीड़ित पाये जा रहे हैं. शहर के पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स और आइजीआइएमएस अस्पताल में 25-25 कुल 200 बेड का डेंगू वार्ड रिजर्व किये गये हैं. जिनमें अभी 87 मरीज भर्ती हैं. इनमें सबसे अधिक 23 मरीज पीएमसीएच के डेंगू वार्ड व आइसीयू में भर्ती हैं. इसके बाद आइजीआइएमएस में 16 मरीजों का इलाज चल रहा है. जिले में डेंगू से अभी एक मरीज की मौत हुई है.
पाटलिपुत्र और बांकीपुर अंचल बना हॉट स्पॉट, एक तिहाई यहीं से मरीज
निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या 45 से 50 प्रतिशत तक है. पटना शहर के लगभग सभी मोहल्लों में डेंगू का प्रकोप फैल चुका है. जलजमाव से प्रभावित रहे मोहल्लों और नालों के किनारे की कॉलोनियां डेंगू का हॉट-स्पॉट बनी हुई है. सरकारी आंड़कों के मुताबिक अब तक डेंगू के 1500 से अधिक मरीज मिल चुके हैं. इनमें एक तिहाई मरीज पाटलिुपत्र अंचल से हैं. इसके बाद बांकीपुर, नूतन राजधानी, अजीमाबाद, कंकड़बाग अंचल से सर्वाधिक डेंगू पीड़ित मिले हैं. पटना सिटी, एनसीसी, दानापुर, खगौल और फुलवारीशरीफ से भी लगातार मरीज मिल रहे हैं.
मुजफ्फरपुर के अस्पतालों में आरक्षित रहेंगे 30 प्रतिशत आइसोलेशन बेड
मुजफ्फरपुर में डेंगू के मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को गाइडलाइन जारी किया है. इसके अलावा ब्लड बैंकों के साथ समन्वय बनाने के लिए सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा को नोडल अधिकारी बनाने को कहा गया है. बुधवार को हुए वीसी में प्रधान सचिव ने सभी जिलों के सीएस के साथ डेंगू रोकथाम के लिए समीक्षा बैठक की. विशेषज्ञों के सुझाव पर स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू मरीजों के उपचार के लिए दिशा-निर्देश जारी किये. इसमें सरकारी व निजी अस्पतालों में डेंगू मरीजों के इलाज के लिए 30 प्रतिशत आइसोलेशन बेड आरक्षित करने को कहा गया है.
5 से 6 दिन में ठीक हो जाते हैं 90 प्रतिशत डेंगू मरीज
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि सामान्य लक्षणों वाले 90 प्रतिशत डेंगू मरीज 5 से 6 दिन में ठीक हो जाते हैं. पहले से किसी बीमारी से पीड़ित 10 प्रतिशत मरीजों को भर्ती करना पड़ता है. शहरी निकायों में माइक्रो प्लान बनाकर रोस्टर अनुसार फॉगिंग कराने को कहा गया है. प्रत्येक क्षेत्र में सप्ताह में कम से कम एक बार फॉगिंग के साथ स्वच्छता अभियान के निर्देश दिये. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू के हॉट स्पॉट चिह्नित करने को कहा गया है. इसके साथ ही उन्होंने भर्ती डेंगू पीड़ितों का हाल जाना. चिकित्सकों को निर्देश दिया कि उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही न हो. स्वास्थ्य विभाग के अफसर पूरी तरह सतर्क रहें और मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराएं. साथ ही जिले के डीएम से कहा गया है कि लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई करें.
डेंगू बुखार के लक्षण
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अचानक तेज बुखार (105 डिग्री)
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गंभीर सिरदर्द
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आंखों के पीछे दर्द
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गंभीर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
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थकान
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जी मिचलाना
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उलटी आना
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दस्त होना
डेंगू से बचने के उपाय
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– घर के आसपास या घर के अंदर भी पानी न जमा होने दें. गमलों, कूलर, रखे हुए टायर में पानी भर जाए, तो इसे तुरंत निकाल लें. साफ- सफाई का इन दिनों में खास ख्याल रखें.
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कूलर में अगर पानी है, तो इसमें कैरोसिन तेल डालकर रखें, इससे मच्छर पनपने की संभावना कम हो जाती है.
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पानी की टंकियों को खुला न छोड़े, अच्छी तरह ढककर रखें.
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इन दिनों फुल स्लीव और पैरों को ज्यादा से ज्यादा ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को मच्छर से बचाने वाली क्रीम लगाकर ही बाहर जाएं.
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