पटना में डेंगू मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार, राज्य में 24 घंटे में 416 संक्रमितों की पुष्टि, जानिए वजह..
Bihar News: बिहार की राजधानी पटना में डेंगू मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार हो चुका है. वहीं, 24 घंटे में 416 संक्रमितों की पुष्टि हुई है. मरीजों के बढ़ते आकड़े ने सभी की चिंता को बढ़ा दिया है. 24 घंटों के दौरान डेंगू के 416 नये मरीज राज्य में मिले हैं.
Bihar News: बिहार की राजधानी पटना में डेंगू मरीजों का आंकड़ा दो हजार के पार हो चुका है. वहीं, 24 घंटे में 416 संक्रमितों की पुष्टि हुई है. मरीजों के बढ़ते आकड़े ने सभी की चिंता को बढ़ा दिया है. राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान डेंगू के 416 नये मरीज पाये गये हैं. नये मरीजों के मिलने से इस वर्ष डेंगू से पीड़ितों की संख्या बढ़कर 6421 हो गयी है. इसमें सिर्फ सितंबर में ही 6146 मरीज पाये गये हैं. मुंगेर में 37, सारण में 28, भागलपुर में 27 और बेगूसराय जिले में 17 मरीज शामिल हैं. डेंगू से पीड़ित होनेवाले 295 मरीजों का इलाज राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में किया जा रहा है. जेएलएनएमसीएच,भागलपुर में सर्वाधिक 127 मरीज भर्ती हैं. जबकि, एम्स पटना में 25, आइजीआइएमएस,पटना में 13, पीएमसीएच में 28, एनएमसीएच,पटना में आठ, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में 17, डीएमसीएच, दरभंगा में तीन, एएनएमसीएच,गया में 16, जीएमसी, बेतिया में छह, जीएमसी, पूर्णिया में पांच, जेएनकेटीएमसीएच,मधेपुरा में आठ और विम्स पावापुरी में 39 मरीज शामिल हैं. डेंगू के बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है.
जलजमाव ने बढ़ाई लोगों की परेशानी
पटना में डेंगू मरीजों की संख्या नये रिकार्ड स्थापित कर रही है. शनिवार को पटना में अब तक के सबसे अधिक 177 नये मामले आये है. इसमें इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस), पीएमसीएच, एनएमसीएच और पटना एम्स में 127 मरीज मिले हैं. जबकि बाकी मरीज निजी अस्पताल व लैब की जांच में पाये गये हैं. इनमें सबसे अधिक 55 पाटलिपुत्र, 10 कंकड़बाग, 36 नूतन राजधानी, 22 बांकीपुर व बाकी ग्रामीण इलाके के रहने वाले हैं. इसके साथ ही जिले में डेंगू रोगियों की संख्या भी दो हजार के पार करते हुए 2064 हो गयी है. पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एम्स और एनएमसीएच मिला कर कुल 92 मरीज डेंगू वार्ड में भर्ती हैं. जिला मलेरिया पदाधिकारी डा सुभाष चंद्र प्रसाद ने बताया कि अधिकतर मरीज सामान्य डेंगू के हैं. उन्होंने बताया कि दिन में भी मच्छर से बचाव करें. बच्चों को पूरी बांह व पैर तक का कपड़ा पहनाएं. आसपास जलजमाव नहीं होने दें.
बता दें कि जलजमाव डेंगू का सबसे बड़ा कारण बन गया है. निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के बाद संक्रमितों का आकड़ा बढ़ता जा रहा है. हड़ताल की वजह से पटना शहर में जगह- जगह गंदगी है. इस वजह से मच्छरों का प्रकोप बढ़ता डा रहा है. बारिश के बाद कई इलाकों में जलजमाव हुआ है. जलजमाव ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है. इसके बाद मरीजों के आकड़े में भी इजाफा हो रहा है.
कीवी व नारियल का पानी हुआ महंगा
डेंगू मरीजों की संख्या में इजाफा के बाद कीवी व नारियल का पानी 10 से 20 रुपये तक महंगा हो गया है. पहले इसका रेट 110 तीन रुपये पीस था. लेकिन, अब 120 से 130 रुपये प्रति पीस बिक रहा है. मजबूरी में लोग इस फल को खरीद रहे हैं. डॉक्टर डेंगू के मरीजों को कीवी फल खाने की सलाह दे रहे हैं. बता दें कि वर्तमान में इसका आयात कीवी इराक से मुंबई होते हुए ट्रेन या फ्लाइट के माध्यम से पटना आता है. यही कारण है कि इसका रेट काफी अधिक होता है. इसी तरह 10 दिन पहले 40 रुपये में जो नारियल पानी बिकता था, अब वह 60 रुपये तक बिक रहा है.
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इनके सेवन की डॉक्टर देते हैं सलाह
– पपीता और पपीते का पत्ता प्लेटलेट्स बढ़ाने के सबसे प्रचलित देसी फॉर्मूलों में एक माना जाता है.
– कद्दू में विटामिन ए भरपूर होता है. यह कोशिकाओं में पैदा होने वाले प्रोटीन को कंट्रोल करता है, जो प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है.
– पालक विटामिन का बेहतर सोर्स है. इसका यूज कम प्लेटलेट्स की प्रॉब्लम होने पर किया जाता है.
– इसके अलावा संतरा, अनार, नाशपाती, अनन्नास, नारियल पानी का सेवन करने की सलाह डॉक्टर देते हैं.
बकरी के दूध की कीमत में इजाफा
मालूम हो कि डेंगू के मरीज कई ऐसे फलों का भी सेवन कर रहे हैं, जिनसे रोग से उबरने में मदद मिलती है. इनमें कीवी फल व नारियल पानी भी हैं. बाजार में एकाएक इसकी मांग बढ़ गयी है. मौके का फायदा उठाकर फल कारोबारियों ने भी कीवी की कीमत बढ़ा दी है. बाजार में अलग-अलग कीमत पर कीवी बिक रहा है. नारियल पानी की स्थिति भी यही है. वहीं बकरी के दूध की कीमत तो 1200 से 1500 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गयी है. जबकि डेंगू से पहले बकरी का दूध 400 से 450 रुपये प्रति लीटर बेचा जाता था.
एसकेएमसीएच व सदर असप्ताल में दस मरीज भर्ती
मुजफ्फरपुर जिले में डेंगू मरीज अपने घर में ही इलाज करा रहे हैं. एसकेएमसीएच व सदर असप्ताल में दस मरीज ही भर्ती हैं. शेष 136 मरीज अपने घर में रह कर इलाज करा रहे हैं. घर में इलाज करा रहे डेंगू पीडितों की स्वास्थ्य विभाग से नियमित मॉनीटरिंग करायी जा रही है. विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वह इसकी रिपोर्ट तैयार करें कि घर में कितने लोग इलाज करा रहे हैं और उन्हें क्या दिक्कत आ रही है, ताकि इन मरीजों को दवा व जांच में कोई असुविधा न हो, इसकी व्यवस्था बनायी जा सके. जिला मलेरिया अधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि शहर में जलजमाव के कारण होने वाली समस्या व मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए नगर निगम को साफ-सफाई करने के निर्देश दिये गये है. अगर कहीं भी लापरवाही मिलती है तो कार्रवाई भी की जायेगी. नगर निगम शहर में नियमित तौर पर फाॅगिंग और छिड़काव करेगा. सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि एसकेएमसीएच में डेंगू के रोगियों को हर सुविधा मिलेगी. उन्होंने अस्पताल की सभी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए कही है. डेंगू रोगियों को प्लेटलेट्स की कमी नहीं होगी. अभी शहर में कई जगहों पर जलजमाव है, डेंगू का लार्वा पनपने की आशंका है. वहां छिडकाव कराये जा रहे है.
डेंगू मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन
डेंगू एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है. डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं. डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं. एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, डेंगू संक्रमण दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में होने वाली एक आम समस्या है और लगभग तीन बिलियन लोग डेंगू से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं. इनमें भारत व दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य भाग, चीन, अफ्रीका, ताइवान और मैक्सिको शामिल हैं.
डेंगू हल्का या गंभीर दोनों हो सकता है. ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं. खासतौर से बच्चों व किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं. गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ के होने का खतरा बढ़ जाता है. इस स्थिति में रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है. ऐसी स्थिति में कई लक्षण नजर आ सकते हैं.
डेंगू के लक्षण..
मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
उल्टी
जी मिचलाना
आंखों में दर्द होना
त्वचा पर लाल चकत्ते होना
ग्लैंड्स में सूजन होना
गंभीर पेट दर्द
लगातार उल्टी होना
मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव
डेंगू का इलाज
डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है. डॉक्टर बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा खाने के लिए दे सकता है. शरीर को हाइड्रेटेड रखकर डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है. ऐसे में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीना चाहिए. हालांकि, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है. अत्यधिक गंभीर मामले में मरीज को नसों में तरल पदार्थ यानी इंट्रावेनस फ्लूइड या इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट दिया जाता है. कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग व ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के जरिये भी इलाज किया जाता है. खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि ये रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
डेंगू से बचाव..
मई 2019 में अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में डेंगवैक्सिया नामक एक डेंगू टीके का उपयोग करने के लिए मंजूरी दी थी. हालांकि, भारत में अभी तक इस टीके को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गयी है. डेंगू एक संचारी रोग है, जो मच्छरों द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है. ऐसे में डेंगू से बचने का सिर्फ एकमात्र तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना. जितना हो सके मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. अपने घर के दरवाजे व खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें. शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें. यदि कोई खुला जल स्रोत है, जिसे आप हटा नहीं कर सकते हैं, तो उसे या तो ढंक दें या फिर उपयुक्त कीटनाशक अप्लाई करें.