Bihar: हर जिले के ब्लैड बैंक में होगी डेंगू जांच की व्यवस्था, केवल इतने देर में मिलेगी रिपोर्ट
बिहार में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पटना के पीएमसीएस में डेंगू पीड़ित भर्ती मरीजों की संख्या 77 तक पहुंच गयी है. इसके साथ ही, कई मरीज अन्य अस्पतालों में भर्ती है. पटना का कंकड़बाग, अजीमाबाद, बांकीपुर, कुम्हरार, मीठापुर, अशोक राजपथ, पटना सिटी हॉटस्पॉट बने हुए हैं.
बिहार में डेंगू के मामले लगातार बढ़े जा रहे हैं. पटना के पीएमसीएस में भर्ती मरीजों की संख्या 77 तक पहुंच गयी है. इसके साथ ही, कई मरीज अन्य अस्पतालों में भी भर्ती है. पटना का कंकड़बाग, अजीमाबाद, बांकीपुर, कुम्हरार, मीठापुर, अशोक राजपथ, पटना सिटी इसके हॉटस्पॉट बने हुए हैं. सरकार के द्वारा विभिन्न अस्पतालों में डेंगू जांच के लिए कैंप लगाया जा रहा है. मगर मरीजों की भीड़ ज्यादा होने के कारण रिपोर्ट आने में काफी देर हो रही है. इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के द्वारा राज्य के जिले के ब्लड बैंकों में डेंगू जांच की व्यवस्था कर रही है. इससे मरीजों को रिपोर्ट के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
राज्य स्वास्थ्य समिति ने जारी किया पत्र
डेंगू के बढ़ते मामले के बीच राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी पत्र जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि ब्लड बैंक में एलाइजा मशीन उपलब्ध है. यह मशीन रक्त केन्द्र में नियमित रूप से टीटीई के अतिरिक्त अन्य बीमारियों की भी जांच करने में सक्षम है. मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच एलाइजा विधि से डेंगू जांच की संख्या बढ़ाने की जरूरत है.
कई जिलों से सैंपल टेस्ट के लिए आता है पटना
बिहार के कई जिलों से मरीजों का ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए पटना आता है. ऐसे में कई बार सैंपल खराब भी हो जाता है. इससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था. जिले के हर ब्लड बैंक में टेस्टिंग की सुविधा होने से फास्ट रिपोर्टिंग के साथ मरीज के इलाज में भी तेजी आएगी. डेंगू की इस भयावह स्थिति के बीच प्राइवेट लैब संचायकों के द्वारा मरीजों से हजारों रुपये की अवैध वसूली की जा रही है.
प्राइवेट लैब वसूल रहे हजारों रुपये
प्राइवेट लैब में हो रहे टेस्ट में आइजीजी, आइजीएम और एनएस 1 शामिल हैं. इस कोंबो पैकेज टेस्ट की राशि 2250 से लेकर तीन हजार तक वसूली जा रही है. जबकि डेंगू की एलिजा आइजीएम (इम्यूनग्लोबिन एम) और एनएस 1 (नान स्ट्रक्चल प्रोटीन 1) टेस्ट से सही पुष्टि होती है. इन टेस्ट में ताजा वायरस इंफेक्शन मिलता है, जबकि आइजीजी टेस्ट में काफी समय पहले का वायरस इंफेक्शन भी दर्शाता है. लेकिन कई निजी लेबोरेटरी में बेवजह तीनों टेस्ट करवाकर मरीजों से हजारों की अतिरिक्त राशि वसूली जा रही है.