पटना. कोरोना महामारी ने मिट्टी की सेहत की जांच में भी बाधा पहुंचायी है. दो साल पहले बजट की कमी के कारण प्रयोगशाला का कार्य पूरा नहीं हुआ था. वहीं बीते वित्तीय वर्ष में पैसा आया, लेकिन कोरोना के कारण कार्य बाधित रहा और अब विभाग को लाखों रुपये सरेंडर करने पड़ रहे हैं. इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना भी प्रभावित हुई है.
किसानों के खेतों की मिट्टी के नमूनों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में मिट्टी जांच प्रयोगशाला के अलावा प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित है. कई प्रयोगशालाओं को अपग्रेड किया जाना है.
इसके अलावा ग्राम स्तर पर भी 210 प्रयोगशालाएं खोली जानी हैं. जिला मिट्टी जांच प्रयोगशाला बक्सर ने 2019-20 में आवंटित बजट से कुल 15.51 लाख रुपये का ही उपयोग कर सका. 52.46 लाख रुपये सरेंडर कर दिये गये हैं.
राज्य की बिजली वितरण कंपनियों ने पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 1594 करोड़ रुपये अधिक राजस्व संग्रह किया है. इसमें नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) शामिल हैं.
दोनों कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने शुक्रवार को सराहना करते हुए बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि कोविड वैश्विक महामारी के दौर में भी दोनों वितरण कंपनियों ने रिकॉर्ड राजस्व संग्रह और एटीएंडसी लॉस में कमी लायी है.
यह दर्शाता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी राज्य की दोनों वितरण कंपनियां समुचित दिशा-निर्देश, कठिन मेहनत और कर्त्तव्यनिष्ठा के बदौलत किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं. दोनों वितरण कंपनियों ने वर्ष 2020-21 में कुल 10 हजार 192 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया.
राजस्व में यह बढ़ोतरी रिकॉर्ड 19 प्रतिशत का है. वहीं ऊर्जा उपलब्धता में मात्र चार प्रतिशत की ही वृद्धि हुई है. गौरतलब है कि 2020-21 के प्रथम छह माह में कोविड वैश्विक महामारी के दोनों कंपनियों का राजस्व प्रभावित हुआ.
Posted by Ashish Jha