बिहार में पेयजल संकट से निबटने के लिए विभाग ने भेजा प्रस्ताव, जानें विकल्प के तौर पर क्या की गयी मांग
गर्मी में लोगों के सामने पेयजल संकट की स्थिति न हो, इसके लिए निगम के जलापूर्ति विभाग ने अभी से एक कार्य योजना तैयार की है. इसके तहत विभाग के पाइपलाइन इंस्पेक्टरों की ओर से स्पेयर में उपकरणों की मांग की गयी है.
मुजफ्फरपुर. गर्मी के समय में करीब आठ महीनें शहरवासियों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है. इस समस्या से निबटने के लिये नगर निगम प्रशासन की ओर से अभी से तैयारी शुरू कर दी गयी है. खास निगम के जलापूर्ति विभाग ने अभी से एक कार्य योजना तैयार की है. इसके तहत विभाग के पाइपलाइन इंस्पेक्टरों की ओर से स्पेयर में उपकरणों की मांग की गयी है. बताया गया है कि पांच एचपी क्षमता के पांच पंप, 15 एचपी तीन पंप और 30 एचपी का दो पंप विकल्प के तौर पर मांग की गयी है. ताकि प्रचंड गर्मी में जलापूर्ति सेवा लंबे समय तक प्रभावित नहीं हो सके. कुल मिला की अलग-अलग क्षमता के दस पंपों की खरीदारी होने के बाद काफी हद तक जल संकट पर नियंत्रण पाया जा सकता है.
एक दर्जन जर्जर पंपों के भरोसे एक लाख से अधिक आबादी
शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में नगर निगम के 26 बड़े पंप हैं. इनमें एक दर्जन पंप 25 से 30 वर्ष पुराने हैं. इनकी हालत जर्जर है. इन एक दर्जन पंपों के भरोसे एक लाख से अधिक आबादी है. गर्मी के समय में हर सप्ताह एक से दो पंपों के खराब होते रहता है. लेकिन स्पेयर में पंप नहीं होने के कारण बड़ी खराबी होने पर लोगों को कई बार तीन से चार दिनों तक पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है. पुरानी व्यवस्था के तहत पंप बनने के बाद ही इलाके में पानी सेवा बहाल हो पाती है. नये पंपों को लेकर कई बार निर्णय लिये जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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अगले महीने से बढ़ने लगेगा दवाब
आने वाले मार्च महीनें से तेजी से मौसम में बदलाव के साथ पानी के लेयर में भी उतार-चढ़ाव की समस्या शुरू होगी. ऐसे में पंपों पर भी दवाब बढ़ेगा. हाल में लगभग इलाकों में नल-जल योजना के तहत पानी का कनेक्शन दिया गया है. ऐसे में योजना के तहत अलग से छोटे-छोटे टावर को भी तैयार किया गया है. लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने के कारण छोटे पंप हाउस की स्थिति भी जर्जर हो गयी है.