पटना. शिक्षक( विद्यालय अध्यापक) नियुक्ति नियमावली में साफ कर दिया गया कि अगर सेवाकाल में शिक्षक (विद्यालय अध्यापक) की मौत हो जाती है, तो उसके आश्रित को अनुकंपा का अधिकार मिलेगा. हालांकि, निमयावली में साफ कर दिया गया कि अनुकंपा नियुक्ति के संदर्भ में अलग से प्रावधान अधिसूचित किये जायेंगे. नयी नियमावली में कहा गया कि सभी शिक्षकों को एक समान वेतनमान मिलेगा.
नयी नियमावली के प्रभावी होते ही नियुक्ति संबंधी पुराने सभी नियम समाप्त माने जायेंगे. हालांकि, यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऐसे संविदा शिक्षक जो नयी नियमावली के जरिये परीक्षा देते हैं और उसमें सफल नहीं हो पाते हैं, तो उन्हें पुरानी नियमावली के तहत मिलने वाली सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी. उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. नियमावली में साफ कहा गया कि अगर अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र गलत पाये जाते हैं, तो उसकी नियुक्ति रद्द कर दी जायेगी और उस समय तक दी गयी राशि की वसूली नियमानुसार की जायेगी.
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पिछली नियमावलियों के तहत नियुक्त शिक्षक नयी नियमावली के किसी भी संवर्ग में नियुक्ति के लिए किये गये प्रावधान के अतिरिक्त इस नियमावली के अन्य प्रावधान के तहत कोई दावा नहीं कर सकता है.
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इस नियमावली के प्रभावी होने की तिथि के बाद पुरानी नियमावली से किसी तरह की नियुक्ति नहीं हो सकेगी.
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जिला संवर्ग के सहायक शिक्षक और प्रमंडलीय संवर्ग के सहायक शिक्षक, जिनके पदों को पहले मरणशील घोषित किया जा चुका है, उस पर यह नियमावली प्रभावी नहीं होगी.
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विद्यालय अध्यापक के लिए वेतनादि का निर्धारण राज्य सरकार करेगी.
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प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के विद्यालय अध्यापक की विषयवार वरीयता सूची होगी.
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माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के इन अध्यापकों की वरीयता सूची अलग-अलग होगी
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विद्यालय अध्यापक की वरीयता सूची जिला स्तर पर संधारित होगी
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परीक्षा का पैटर्न आयोग तय करेगा, जिसमें शिक्षा विभाग परामर्श देगा
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परीक्षा के लिए अर्हतांक नियत करने का विवेकाधिकार आयोग को होगा
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राजकीय, राजकीय बुनियादी विद्यालय, राजकीयकृत ,प्रोजेक्ट कन्या विद्यालय में नियुक्त होने वाले विद्यालय अध्यापक का संवर्ग होगा.
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प्राथमिक और मध्य विद्यालय के मूल कोटि व स्नातक कोटि के विद्यालय अध्यापक ,माध्यमिक और उच्च विद्यालय में विषयवार शिक्षक का अलग -अलग संवर्ग होगा. यह सभी संवर्ग जिला स्तर के होंगे.
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शिक्षक प्रशिक्षण के किसी भी उपाधि की मान्यता के प्रश्न अथवा उपाधि विशेष की समतुल्यता के मामले पर किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में एनसीटीइ के परामर्श से विभाग का निर्णय अंतिम होगा.