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Sawan 2020: इस सावन घर बैठे कीजिये बिहार-झारखंड के इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों का दर्शन

बाबा वैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर जिले में है. बाबा वैद्यनाथ धाम का शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है. यहां भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है इसलिये इसे कामना लिंग भी कहा जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 19, 2020 5:11 PM

रांची: सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. आमतौर पर सावन में पूरा देश केसरिया रंग में रंगा हुआ दिखता है. लेकिन, इस वर्ष कोरोना संकट की वजह से श्रावणी मेले की इजाजत नहीं दी गयी है. यही वजह है कि शिवालयों में भीड़ नहीं दिखती. ऐसे में हम आपके लिये लाये हैं बिहार और झारखंड के कुछ प्रसिद्ध शिवमंदिरो की कहानी.

बाबा वैद्यनाथ धाम, देवघर

बाबा वैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर जिले में है. बाबा वैद्यनाथ धाम का शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है. यहां भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती है इसलिये इसे कामना लिंग भी कहा जाता है. सावन के महीने में लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं. इससे पहले श्रद्धालु सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल उठाते हैं. फिर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर बाबा को जल चढ़ाते हैं.

बाबा बासुकीनाथ धाम, दुमका

बाबा बासुकीनाथ धाम झारखंड के दुमका जिले में है. कहा जाता है कि प्रचीन काल में यहां एक भयानक जंगल हुआ करता था. वहां राक्षस रहा करते थे. लोग राक्षसों के अत्याचारों से परेशान थे. उन सबने मिलकर भगवान शिव की अराधना की. भगवान ने प्रसन्न होकर राक्षसों के अत्याचार से लोगों को मुक्त करवाया. कहा जाता है कि देवघर की यात्रा अधूरी रह जाती है यदि बाबा बासुकीनाथ का दर्शन नहीं किया तो.

बाबा गाजेश्वरनाथ धाम, साहिबगंज

बाबा गाजेश्वरनाथ धाम झारखंड के साहिबगंज जिले में है. पैराणिक कथा के अनुसार यहां राक्षसराज गजासुर ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने गजासुर को दर्शन दिये थे. इसलिये इसे गाजेश्वरनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं. इससे पहले श्रद्धालु फरक्का या राजमहल से गंगाजल लेते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी इसे खास बनाती है.

पहाड़ी मंदिर, रांची

पहाड़ी मंदिर झारखंड की राजधानी रांची में है. भगवान भोलेनाथ का ये मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बसा है. मंदिर तक पहुंचने के लिये तकरीबन 500 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. पहले इस जगह को फांसी टोंगरी नाम से जाना जाता था क्योंकि औपनिवेशिक काल में यहां कई क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गयी थी. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से जो मांगो मिल जाता है. सावन के महीने में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिये पहुंचते हैं. मंदिर के प्रांगण से रांची का विंहगम दृश्य देखा जा सकता है.

अजगैबीनाथ शिव मंदिर, सुल्तानगंज

अजगैबीनाथ शिव मंदिर गंगा नदी के तट पर बसे सुल्तानगंज में है. यहां गंगा उत्तरवाहिनी है इसलिये आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस प्राचीन मंदिर का विशेष महत्व है. अजगैबीनाथ मंदिर गंगा नदी के तट पर ग्रेनाइट की एक विशाल चट्टान के ऊपर बना है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव ने अवतरित होकर बड़ा चमत्कार किया था. इसलिये इस मंदिर को अजगैबीनाथ शिव मंदिर कहा जाता है.

ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर, बक्सर

ब्रह्मश्वेर महादेव मंदिर बिहार के बक्सर जिले में है. इस मंदिर की खास बात ये है कि, इसका मुख्य द्वार पश्चिम मुखी है. पैराणिक कथा के मुताबिक, इस मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. इसलिये इस ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है. यहां सावन के महीने में भक्त अपनी जिस भी मनोकामना के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है. इसलिये इसे मनोकामना महादेव मंदिर भी कहा जाता है.

बाबा गरीबनाथ मंदिर, मुजफ्फरपुर

बाबा गरीबनाथ मंदिर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में है. इस मंदिर को बिहार का देवघर भी कहा जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालू भगवान भोलेनाथ को मनोकामनालिंग के तौर पर पूजते हैं. यहां आने के लिये भक्त सोनपुर के पहलेज घाट से जल उठाते हैं और गरीबनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं.

कपिलेश्वर महादेव मंदिर, मधुबनी

कपिलेश्वर महादेव मंदिर बिहार के मधुबनी जिले में है. सावन के महीने में यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं. पैराणिक कथा के मुताबिक यहां प्राचीन काल में कर्दम नाम के ऋषि तपस्या किया करते थे. कई दिन बीत गये लेकिन वहां पानी की एक बूंद तक नहीं थी. लेकिन, एक चमक्तार हुआ और वरूण देव ने स्वंय प्रकट होकर वहां एक मंदिर का निर्माण किया. कहा जाता है कि आज भी वो तालाब यहां मौजूद है. यहां पर शिवलिंग का रंग चॉकलेटी है.

Posted By- Suraj Kumar Thakur

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