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Bihar: घोषणाओं में सिमटा दिनकर के गांव का विकास,घर को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित करने की हो चुकी है मांग

Bihar News: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम से बेगूसराय और बरौनी की पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर है. लेकिन चिराग तले अंधेरा वाली कहावत दिनकर के गांव में चरितार्थ हो रही है. राष्ट्रकवि दिनकर के गांव का विकास घोषणाओं में ही सिमट कर रह गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 23, 2021 12:28 PM
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विपिन कुमार मिश्र,बेगूसराय. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम से बेगूसराय और बरौनी की पहचान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर है. लेकिन चिराग तले अंधेरा वाली कहावत दिनकर के गांव में चरितार्थ हो रही है. राष्ट्रकवि दिनकर के गांव का विकास घोषणाओं में ही सिमट कर रह गया है.

इसका मलाल दिनकर के गांव के लोगों के साथ-साथ राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को है. चूंकि दिनकर की जन्मतिथि 23सितंबर को प्रत्येक साल यहां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के लोगों का आगमन होता है और साहित्य का कुंभ लगता है.

आने वाले लोग जब दिनकर के गांव को उपेक्षित देखते हैं तो उनके जेहन में यह बात उभर कर सामने आती है कि आखिर राष्ट्रकवि दिनकर का गांव विकास से कोसों दूर क्यों है. यहां के जनप्रतिनिधियों ने दिनकर की जन्मस्थली सिमरिया को संजाने व संवारने में क्यों नहीं रुचि ली.

राष्ट्रकवि दिनकर का गांव एक नजर में

  • विकास के मामले में वर्षों से उपेक्षित है राष्ट्रकवि दिनकर का गांव

  • आज भी जर्जर सड़क से ही लोग पहुंचते हैं दिनकर के गांव

  • पेयजल की नहीं है समुचित व्यवस्था

  • राज्य से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों से पूरे वर्ष दिनकर के गांव को नमन करने पहुंचे हैं कवि,साहित्यकार व रचनाकार

  • तत्कालीन सांसद के द्वारा दिनकर के गांव को गोद लेने के बाद भी नहीं पूरा हो सका विकास का कार्य

  • दिनकर के गांव में आज भी हर घरों की दीवार पर दिनकर की लिखी हुई कविताओं को देख भाव विभोर होते हैं आने वाले लोग

  • प्रत्येक साल 23 सितंबर को दिनकर के जन्मदिन पर साहित्यकारों,कवियों व रचनाकारों का लगता है मेला

  • दिनकर के गांव के विकास के नाम पर आज तक मिलता रहा है सिर्फ आश्वासन

  • दिनकर पुस्तकालय में आज भी दिनकर की रचनाओं को पढ़ने पहुंचते हैं लोग

  • दिनकर के पैतृक घर को देख आने वाले लोग अपने को धन्य मानते हुए मिट्टी को करते हैं नमन

1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे ने सिमरिया को आदर्श गांव किया था घोषित : वर्ष 1986 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे द्वारा सिमरिया को आदर्श ग्राम घोषित किया गया. पर आज तक इस आदर्श गांव में कुछ भी दिखायी नहीं पड़ा है. प्रत्येक साल मनाये जाने वाले जयंती के मौके पर जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन के लोग यहां पहुंचते हैं. बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जाती है लेकिन वह घोषणा बनकर ही रह जाता है.

दिनकर की कृतियों को सहेज कर परिवार व गांव के लोग रखे हुए हैं :राष्ट्रकवि दिनकर की कृतियों को आज भी वहां के लोग एवं उनके परिवार के सदस्य संजो कर रखे हुए हैं. जिसे देखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के प्रतिनिधि पूरे वर्ष पहुंचते रहते हैं. दिनकर के गांव की हर दीवार पर जब दिनकर की कविताओं को लिखा हुआ आने वाले लोग देखते हैं तो दिनकर के प्रति गांव के प्रेम को देखकर भाव विभोर हो उठते हैं.

दिनकर जयंती पर प्रत्येक साल साहित्यकारों को मिलता है राष्ट्रीय व जनपदीय सम्मान :दिनकर जयंती के मौके पर प्रत्येक साल दो साहित्यकारों को दिनकर राष्ट्रीय व दिनकर जनपदीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इस बार भी समाहरणालय भवन परिसर स्थित कारगिल विजय सभा भवन में 23 सितंबर को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती अवसर पर सम्मान समारोह का आयोजन दिनकर जयंती समारोह समिति द्वारा किया जा रहा है.

उक्त जानकारी समिति के महासचिव डॉ रामरेखा व नरेंद्र कुमार सिंह ने दी. कार्यक्रम का उद्घाटन जिला पदाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा करेंगे. इस अवसर पर वर्ष 2021 के लिए मैथिली एवं हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि, कहानीकार, समालोचक, अनुवाद चिंतक प्रो देवशंकर नवीन को दिनकर राष्ट्रीय सम्मान दिया जायेगा.

इसी अवसर पर पूर्व आचार्य मेघौल निवासी डॉ अवधेश कुमार सिंह तथा नारेपुर निवासी कवि साहित्यकार सह पूर्व प्राचार्य डॉ शैलेंद्र कुमार त्यागी को वर्ष 2020 के लिये जनपदीय सम्मान से सम्मानित किया जायेगा.

पूर्व सांसद केे गोद लेने के बाद भी सिमरिया का नहीं हुआ विकास : 2014 में प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत बेगूसराय के तत्कालीन सांसद स्मृति शेष भोला बाबू ने सिमरिया को गोद लिया. पर इस बार भी कुछ भी नहीं हुआ. उस समय लोगों में यह आस जगी थी की सिमरिया में बंद पड़े विकास के द्वार अब खुल जायेंगे.

दिनकर के गांव सिमरिया में 24 घंटे बिजली आपूर्ति, गांव में किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा खोलने, गांव की सभी सड़कों के पक्कीकरण, शुद्ध पेयजल की समुचित व्यवस्था, गांव में डिग्री कॉलेज खोलने की परिकल्पना आज तक दिनकर के गांव के लोगों को साकार नहीं हो पाया है.

राज्यसभा में दिनकर के घर को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित करने का रखा था प्रस्ताव : मार्च 2021 में राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के जन्मस्थान सिमरिया को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग संस्कृति मंत्रालय से की थी.

उन्होंने राज्यसभा में कहा कि श्रेष्ठ साहित्यकार अपनी कालजयी रचनाओं से समाज को प्रगतिशील बनाता है. वर्तमान ही नहीं पीढ़ियों को प्रभावित और प्रेरित करता है. उनकी कृतियां रश्मिरथी,परशुराम की प्रतीक्षा, उर्वशी, संस्कृति के चार अध्याय राष्ट्रीय साहित्य के साथ -साथ विश्व साहित्य का हिस्सा है.

Posted by Ashish Jha

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